छत्तीसगढ़

कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पारित, विपक्ष ने कहा- किसानों पर पड़ेगा भार

रायपुर. विधानसभा में सोमवार को छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक 2020 पारित हो गया है। इसके बाद मंडियों में अब प्रति 100 रुपए पर न्यूनतम 50 पैसे की दर और अधिकतम तीन रुपए की दर से शुल्क लिया जाएगा। इससे पहले अधिकतम दर दो रुपए तक थी। इस विधेयक पर चर्चा के दौरान सत्ता और विपक्ष के बीच तीख चर्चा भी हुई।

विपक्ष का कहना था कि संशोधन विधेयक से किसानों पर अतिरिक्त भार पड़ेगा, जबकि कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे का कहना था कि यह विधेयक किसानों के कल्याण के लिए लाया गया है। विधेयक पारित होने से पहले सदन में चर्चा करते हुए कृषि मंत्री चौबे ने कहा, इस संशोधन में कृषक कल्याण शुल्क लगाया गया है। देश के कई राज्यों में यह शुल्क लगा है। इस राशि से मंडि़यों का विकास और किसान विश्राम गृह जैसे काम होंगे।

चर्चा के दौरान विधायक अजय चंद्राकर ने कहा, प्रदेश में ६९ मंडी और ११८ उप मंडिया है। इनमें केवल २४ मंडी ही जिंदा है। उसमें भी दो मंडी पूरी तरह से जिंदा है। उन्होंने कोविड के दौरान शराब और गौठान के लिए सेस लगाया गया, लेकिन इसमें से एक रुपए भी कोविड के लिए खर्च नहीं हुआ। यह विधेयक भी एक तरह से सेस है। उन्होंने कहा, मंडी में जब सेंट्रल एक्ट पारित हो गया है, तो यह संशय है कि यह राज्य में लागू हो पाएगा या नहीं। इसे लेकर विपक्ष के अन्य सदस्यों ने भी तीखे तेवर दिखाएं।

सिर्फ चिट्ठी लिखने का काम
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, आप लोग सिर्फ चिट्ठी लिखने का काम करते हैं। चिट्ठी लिखकर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेते हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, अभी तक चावल जमा करने की अनुमति नहीं मिली है। बारदाने की भी यही स्थिति है। एेसे में हम जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

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