छत्तीसगढ़

खरीदी केंद्रों से 25 हजार क्विंटल धान गायब, प्रबंधक उठाव में देरी का दे रहे हवाला, कौन जिम्मेदार?

राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में पिछले खरीफ सीजन में 1 लाख 86 हजार 474 किसानों से 76 लाख क्विंटल धान की खरीदी करने का दावा किया गया था लेकिन सूखत की जांच में पता चला है कि खरीदी केंद्रों से 25 हजार क्विंटल धान गायब है।
समिति प्रबंधक उठाव में देरी होने के कारण धान के वजन में कमी होने का हवाना दे रहे हैं। वहीं, राज्य सरकार की ने समितियों के कमीशन की राशि रोक दी है।
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अब खरीफ सीजन के लिए खरीदी की तैयारी शुरू हो चुकी है। प्रबंधकों के मुताबिक, खरीदी के तुरंत बाद उठाव की जिम्मेदारी मार्कफेड की थी लेकिन अफसरों ने शुरू से ही ढिलाई बरती। अब स्थिति यह है कि खरीफ सीजन 2021 की खरीदी शुरू होने वाली है किंतु उठाव पूरा नहीं हो पाया है। धान सड़ते हुए केन्द्रों में पड़े हैं। करोड़ों का धान खराब होने के बावजूद भी कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई है।
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समितियां जिम्मेदार नहीं
सेवा सहकारी समिति कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष रूपनारायण हिरवानी ने कहा कि सूखत के लिए समितियां जिम्मेदार नहीं हैं, क्योंकि समितियों का काम खरीदी करना है। उठाव के लिए संबंधित विभाग जिम्मेदार है। इसलिए शासन से लगातार कमीशन की राशि जारी करने की मांग की जा रही है।
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इस वजह से खराब हुआ धान
बता दें कि जिले में एक भी ऐसे केन्द्र नहीं हैं जहां सूखत की समस्या नहीं आई है। हर केन्द्र में धान के वजन में कमी आई है। ऐसा कहा जा रहा है कि प्रत्येक केन्द्रों में 3 से 4 प्रतिशत तक धान के बोरे में वजन की कमी पाई गई है। लंबे समय तक खुले में पड़े रहने की वजह से प्रत्येक बोरे में दो से तीन किलो वजन कम हुआ। बारिश में भीगने के कारण धान सड़ गए। कुछ केन्द्रों में तो धान की जरई तक निकली। इसका मिलर्स ने उठाव नहीं किया।
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पत्र लिखते रहे प्रबंधक
समिति प्रबंधकों ने कहा कि धान के रखरखाव और सुरक्षा के नाम पर सीमित राशि प्रदान की जाती है। लंबे समय तक इतने कम राशि में सुरक्षा बहुत मुश्किल है। चौकीदारों को वेतन देने के लिए भी पैसे की कमी होती है। बारिश से बचाने के लिए पर्याप्त कैप कव्हर भी प्रदान नहीं किए गए हैं। इस कारण से तेज बारिश होने पर धान भीग जाता है। प्रबंधकों ने आगे कहा कि उन्होंने उठाव के लिए कई बार पत्र लिखे पर अफसरों ने कोई ध्यान नहीं दिया।
जिले के धान खरीदी केंद्रों से नियमित रूप से उठाव नहीं कराए गए और इस वजह से धान खराब होते गए। मार्कफेड के डीएमओ एस भारद्वाज ने कहा कि जिन केन्द्रों में धान की कमी पाई गई है उसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।

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