छत्तीसगढ़

73rd REPUBLIC DAY: गणतंत्र दिवस के जश्न में डूबा देश, राजपथ पर निकली छत्तीसगढ़ की गोधन योजना पर केंद्रित झांकी… 

73rd REPUBLIC DAY: आज 26 जनवरी यानि 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर पूरे देश में खुशियों का माहौल है। आज पूरा देश अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस साल 26 जनवरी को भारत अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। बता दें कि 1950 में इस दिन देश का संविधान लागू किया गया था।
गणतंत्र दिवस के इस पावन अवसर पर राजपथ पर जारी किए गए परेड में भारत के शौर्य और संस्कृति की झलक दिखाई दे रही है। भारतीय सेना के आधुनिक हथियारों की झांकी देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में शौर्य का प्रदर्शन हो रहा है। लेकिन कोरोना की वजह से इस बार केवल 5000 लोग परेड देखने के लिए राजपथ पर आए हैं।
73वें गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर भारतीय नौसेना की झांकी ने हिस्सा लिया। बता दें कि इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के उद्देश्य को प्रदर्शित करने के लिए बनाया गया था। केवल इतना ही नहीं ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का भी इसमें जिक्र रहा।
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छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही गोबर पर आधारित गोधन न्याय योजना की पूरे देश में काफी तारीफें हो रही है। यहां तक कि दिल्ली में भी गोबर पर आधारित योजना की तारीफ की जा रहीं हैं।
आज आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर इंडिया-75 न्यू आईडिया की थीम घोषित की गई है। दिल्ली में आज गणतन्त्र दिवस पर राजपथ पर 12 राज्यों की झांकियां निकाली गई हैं। इनमें छत्तीसगढ़ का भी चयन हुआ था।
राजपथ पर निकलने वाली छत्तीसगढ़ की झांकी गोधन योजना पर केंद्रित थी। ग्रामीण संसाधनों के उपयोग के पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समन्वय से एक साथ बहुत सी वैश्विक चिंताओं के समाधानों के लिए इस झांकी ने विकल्प पेश किया है। इसके बाद झांकी के अगले भाग में गाय के गोबर को एकत्रित करके उन्हें विक्रय के लिए गौठानों के संग्रहण केंद्रों की ओर ले जाती ग्रामीण महिलाओं को दर्शाया गया था।
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इस झांकी में जो महिलाएं दिखाई दी वे सभी पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में थी। उन्होंने हाथों से बने कपड़े और गहने पहने हुए थे। इसके बाद दिखाया गया कि इन्हीं में से एक महिला गोबर से उत्पाद तैयार कर विक्रय के लिए बाजार ले जा रही है। उनके चारों ओर सजे फूलों के गमले गोठानों में साग-सब्जियों और फूलों की खेती के प्रतीक हैं। इसके बाद नीचे की ओर गोबर से बने दीयों की सजावट की गई थी। ये दीपक ग्रामीण महिलाओं के जीवन में आए स्वावलंबन और आत्मविश्वास के प्रतीक हैं।
इसके बाद झांकी के पिछले भाग में गौठानों को रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के रूप में विकसित होते हुए दर्शाया गया है। नई तकनीकों और मशीनों का प्रयोग करके महिलाएं स्वयं की उद्यमिता का विकास कर रही हैं। वे गांवों में छोटे-छोटे उद्योगों का संचालन कर रही हैं। इसके बाद मध्य भाग में यह दिखाया गया कि गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र में रखकर किस तरह पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, पोषण, रोजगार और आय में बढ़ोतरी के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।इसके बाद अंत में चित्रकारी करती हुई ग्रामीण महिला पारंपरिक शिल्प और कलाओं के विकास की प्रतीक है। झांकी में भित्ती-चित्र शैली में विकसित हो रही जल प्रबंधन प्रणालियों, बढ़ती उत्पादकता और खुशहाल किसान को दर्शाया गया है। इसी कड़ी में गोबर से बनी वस्तुएं और गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करती स्व सहायता समूहों की महिलाओं को भी दिखाया गया था।

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