दुनियाभर में अभी कोरोना संक्रमण के मामले स्वास्थ्य संगठनों के लिए गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं, खासकर, कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को सबसे संक्रामक और घातक माना जा रहा है। हवाना सिंड्रोम(Havana syndrome) के बारे में लोग कई तरह के अलग-अलग विचार रखती हैं, लेकिन कई बार इसकी मौजूदगी पर भी यह सवाल उठाया जाता हैं कि क्या सच में ऐसी कोई समस्या होती भी है या नहीं? ऐसा संशय इसलिए होता है क्योंकि हवाना सिंड्रोम(Havana syndrome) के मामले अधिकतर यूएस और कनाडाई राजनयिकों में ही देखने को मिलते हैं।
ये बात भी है कि अमेरिकी प्रशासन इस बीमारी के अस्तित्व को मानती रही है। पिछले महीने, सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने बताया, “मैं निश्चित रूप से आश्वस्त हूं कि हमारे अधिकारियों और परिवार के कुछ सदस्यों के साथ-साथ अन्य अमेरिकी सरकारी कर्मचारियों ने जो अनुभव किया है, वह वास्तविक है।
जानकारी के मुताबिक, कुछ देशों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच अब हवाना सिंड्रोम(Havana syndrome) के बारे में भी कुछ मीडिया रिपोर्टस में दावा किया जा रहा है। यहां तक की, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की यात्रा पर भी इसका असर देखा गया था। जब कमला हैरिस 24 अगस्त को सिंगापुर से वियतनाम की यात्रा कर रही थीं, तो इसमें तय समय से देरी हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, हनोई के अमेरिकी दूतावास ने हवाना सिंड्रोम के डर के चलते सुरक्षात्मक कारणों को लेकर पहले ही सावधान कर दिया था।
बता दें कि कोरोना संक्रमण के कुछ देशों में बढ़ते मामलों के बीच अब हवाना सिंड्रोम(Havana syndrome) के मामले स्वास्थ्य संगठनों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर रहे हैं। कई रिपोर्ट में हवाना सिंड्रोम(Havana syndrome) को ‘रहस्यमयी बीमारी’ कहा गया है। बताया जा रहा है कि इसकी समस्या ज्यादातर यूएस और कनाडाई राजनयिकों द्वारा रिपोर्ट की जाती रह है। केवल इतना ही नहीं, समय समय पर हवाना सिंड्रोम के अस्तित्व को लेकर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, हवाना सिंड्रोम, कोई नई या उभरती हुई बीमारी नहीं है जो यूं अचानक सामने आ गई हो। इसके मामले पहली बार साल 2016 में क्यूबा की राजधानी हवाना में सामने आए थे। फिर इसके बाद जर्मनी, ऑस्ट्रिया, रूस और चीन सहित अन्य देशों में भी vइसकी शिकायत मिली। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि हवाना सिंड्रोम की समस्या वाले लोगों को मतली, ठीक से सुनाई न देने, याददाश्त की दिक्कत, चक्कर आने और टिनिटस जैसी परेशानी हो सकती है। बस इतना ही नहीं कुछ लोगों में बहुत ही तेज आवाज सुनाई देने की भी परेशानी हो सकती है।
मस्तिष्क के ऊतकों को पहुंच सकती है गंभीर क्षति
एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 में जब पहली बार हवाना सिंड्रोम के मामले सामने आए थे तो राजनयिकों ने अपने सिर में भयंकर दबाव महसूस होने की शिकायत जाहिर की थी। फिर कुछ अन्य लोगों ने कहा कि वह ऐसा महसूस कर रहे थे जैसे वे किसी ऊर्जा की एक अदृश्य किरण में खड़े हों। जब प्रभावित लोगों के मस्तिष्क का स्कैन किया गया तो डॉक्टरों ने देखा कि मस्तिष्क के ऊतकों की स्थिति बिल्कुल वैसी ही हो गई थी जैसा किसी कार दुर्घटना या बम विस्फोट के कारण हो जाती है।
जानिए हवाना सिंड्रोम के क्या कारण हो सकते हैं?
अब तक हवाना सिंड्रोम के स्पष्ट कारणों का कोई पता नहीं चल पाया है। लेकिन कुछ रिपोर्टस में इसके मनोवैज्ञानिक कारणों का दावा किया जा रहा है। कुछ अध्ययनकर्ताओं का यह कहना है कि विदेशी मिशनों के कारण उत्पन्न तनावपूर्ण माहौल ऐसी समस्याओं को जन्म दे सकता है और शायद यही कारण है कि हवाना सिंड्रोम के सबसे ज्यादा शिकार राजनयिक ही होते हैं।
दिसंबर 2020 में राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (NAS) द्वारा जारी किए गए एक रिपोर्ट में यह बताया गया कि रेडियोफ्रीक्वेंसी एनर्जी भी इसका एक कारण हो सकती है।