NGO is giving training to the Rats:
सुनने में ये अजीब जरूर लगता है, पर अब चूहे की मदद से भूकंप आने पर जो लोग मलबे में दब जाते है, उन्हें अब बचाया जा सकेगा। इसके लिए अफ्रीका के वैज्ञानिकों और अपोपो नाम के एक NGO ने चूहों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है। साथ ही अब रेस्क्यू टीम की मदद से ये अब ये चूहे अपनी पीठ पर बैग टांगे खतरे में फंसे लोगों की जान बचा सकेंगे।
साथ ही इसके चलते रेस्क्यू टीम को भी मदद काफी मदद मिलेगी, क्योंकि भूकंप आने के बाद रेस्क्यू टीम को लोगों का पता लगाने में ही काफी समय लग जाता है। जिसके कारण कई लोगों की मौत मदद मिलने से पहले ही हो जाती है।
चूहों का नाम रखा हीरो रैट्स
डॉ. डोना कीन जो की इस रिसर्च को लीड कर रहीं है।उन्होंने बताया कि अब तक 7 चूहों को इस प्रोजेक्ट के लिए ट्रेनिंग दी जा चुकी है। साथ ही उन्होंने बताया कि इन्होंने सिर्फ 2 हफ्ते में ही सब कुछ सीख लिया।
अपोपो की वेबसाइट के मुताबिक, ये चूहे अफ्रीका में मिलने वाली पाउच्ड रैट्स प्रजाति के हैं। इनका नाम हीरो रैट्स रखा गया है।
लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक, पाउच्ड रैट्स प्रजाति के चूहों को इस लिए चुना गया है, क्यूंकि इन्हें ट्रेनिंग देना काफी आसान होता है। साथ ही इनमें सूंघने की क्षमता भी दूसरे चूहों से ज्यादा होती है। साथ ही अगर देखा जाए तो चूहे औसतन 6 से 8 साल जीते हैं और साथ ही ये छोटी सी छोटी जगह में भी बड़ी आसानी से घुस जाते हैं और ज्यादातर बीमारियों से बचने में कामयाब होते हैं।
चूहे लोकेशन ट्रैक कर बताएंगे लोगों का पता-
डॉ.कीन ने बताया की चूहों के बैग में माइक्रोफोन,वीडियो डिवाइस और लोकेशन ट्रैकर रखा गया है। इसके जरिए रेस्क्यू टीम मलबे में दबे लोगों को ढूंढकर, उनसे बातचीत कर उनकी हालत का पता लगा सकेगी। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि चूहों को अभी नकली मलबे में इस चीज की ट्रेनिंग दी जा रही है और बहुत जल्द इन्हें तुर्की जाने का मौका मिलेगा क्योंकि वहां आए दिन भूकंप आने की घटनाएं होती रहती हैं।
टीबी जैसी बीमारियों से भी बचाएंगे चूहे-
डॉ. कीन का कहना है कि लोग चूहे के नाम को बेमतलब ख़राब करते हैं और समझते है कि ये गंदगी फैलाने वाला जानवर हैं, लेकिन ऐसा नहीं है चूहे काफी स्मार्ट होते हैं। साथ ही ये हमें फटाफट नई स्किल्स सीखकर हमें चौंका भी सकते हैं। फिलहाल हीरो रैट्स भूकंप ही नहीं, बल्कि टीबी और ब्रूसिलोसिस नाम की बीमारी का सूंघकर पता लगाने की भी ट्रेनिंग ले रहे हैं। कुल मिलकर 170 चूहे इन सभी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं।
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