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डेंगू से नहीं आंकड़ों से डर रहा प्रशासन: रायपुर में आरडी किट से पॉजिटिव पाए गए चार मरीजों ने दम तोड़ा, एक का एलाइजा टेस्ट भी पॉजिटिव था, CMHO का दावा नहीं गई कोई जान

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में डेंगू बुखार का कहर प्रशासनिक दावे से कहीं ज्यादा है। रायपुर प्रशासन डेंगू से नहीं बल्कि आंकड़ों के बिगड़ने से डर रहा है। इसीलिए तो चार मरीजों की मौत के बाद भी रायपुर प्रशासन द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि डेंगू से यहां किसी की भी मौत नहीं हुई है। जिन चार मरीजों की मौत हुई है, उनकी आरडी किट से हुई जांच की गई। जांच में डेंगू की पुष्टि हुई थी। एक मरीज का एलाइजा जांच भी पॉजिटिव आया था।
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रायपुर की मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. मीरा बघेल ने बताया कि रायपुर जिले मे डेंगू से किसी भी मृत्यु की रिपोर्ट नहीं आई है। उनका तर्क है, नेशनल वेक्टर बाॅर्न डिसीज नियंत्रण कार्यक्रम मे एलाईजा पॉजिटिव को ही कन्फर्म केस माना जाता है। आरडी किट पॉजिटिव को कन्फर्म केस नहीं कहते। कभी-कभी NS1 तथा अन्य वायरस से भी आरडी किट में रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाता है सिर्फ एलाइजा टेस्ट ही कन्फर्म टेस्ट होता है, जिससे डेंगू की पुष्टि हो सकती है।
CMHO डॉ. बघेल ने आगे बताया कि रामनगर निवासी तेरह वर्षीय नेहा सोनी की मृत्यु मेकाहारा मे हुई थी। वह लिवर की बीमारी के ईलाज के लिए अस्पताल भर्ती हुई थी। उसका डेंगू एलाईजा टेस्ट पॉजिटिव आया था। पेटल्स अस्पताल में एक 13 वर्षीय बच्ची की मौत हुई थी। उसका भी जब आरडी किट जांच किया गया तो डेंगू पॉजिटिव आया। उसे टीबीएम की बीमारी थी और उसे सिकलिंग था। उसका एलाइजा टेस्ट नहीं हुआ था।
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इधर, एमएमआई हास्पीटल में अभनपुर निवासी युवक की मौत हुई थी। जिनका आरडी टेस्ट डेंगू पॉजिटिव बताया गया लेकिन एलाईजा टेस्ट के लिए सीरम नहीं भेजा गया था। एमएमआई मे ही भर्ती एक मरीज डिंपल अग्रवाल की मौत हुई है। इनका भी आरडी किट से डेंगू पॉजिटिव बताया गया है, एलाईजा जांच के लिए सैंपल नहीं भेजा गया। इसके बिना डेंगू कन्फर्म नहीं किया जा सकता।
एमएमआई अस्पताल को दोबारा मिला नोटिस
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल ने जानकारी दी कि अस्पतालों ने लापरवाही बरतते हुए एलाइजा जांच के लिए सीरम नहीं भेजा। अब अस्पताल को नोटिस जारी कर कार्रवाई की जा रही है। वहीं, एमएमआई अस्पताल को दो मामलों में नोटिस जारी हुआ है। इधर, पेटल्स अस्पताल को भी एक नोटिस दिया हुआ है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में कार्रवाई के नाम पर अस्पताल पर 30 हजार रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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एलाइजा टेस्ट कराएगा कौन?
CMHO के रुख से एक बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि आखिर डेंगू की पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट कौन कराएगा। बीमार होने पर कोई भी व्यक्ति अस्पताल जाता है। फिर, डॉक्टर उसे जो भी टेस्ट कराने के लिए कहते हैं वह वो कराता है। अब डॉक्टर उसका एलाइजा टेस्ट नहीं कराता तो वह सरकारी आंकड़ों में शामिल होने के लिए तो एलाइजा टेस्ट कराने जाएगा नहीं। राजधानी के निजी अस्पतालों पर सरकार का इकबाल काम नहीं कर रहा है, जिससे वे CMHO कार्यालय को इसकी सूचना दे सकें।
सभी अस्पतालों में आरडी किट से जांच
 एलाइजा को ही कन्फर्म टेस्ट मानने के दावे के बीच सभी सरकारी अस्पतालों में डेंगू की जांच आरडी किट से ही हो रही है। डॉ. भीमराव आम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के अधीक्षक ने दो दिन पहले ही CMHO को एक पत्र भेजा था जिसमें उन्होंने 500 नग आरडी किट उपलब्ध कराने को कहा है। डॉक्टरों ने बताया कि, एलाइजा टेस्ट की सुविधा केवल मेडिकल कॉलेज में ही उपलब्ध है और इसकी जांच रिपोर्ट आने में दो से तीन दिनों का समय तो लग ही जाता है। डेंगू रैपिड टेस्ट किट – आरडी किट से तुरंत पता चल जाता है और मरीज का इलाज शुरू हो जाता है।
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लगातार सर्विलांस का दावा
CMHO ने कहा कि रायपुर के सभी 18 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के जरिए लगातार सर्विलांस का काम जारी है। जिले के सभी शासकीय अस्पतालों मे डेंगू टेस्ट किट उपलब्ध है। जिला अस्पताल, पंडरी मे डेंगू मरीजों के लिए तीस बेड और आयुर्वेदिक अस्पताल ,डंगनिया में भी बेड आरक्षित किए गए हैं। अभी वर्तमान में आरक्षित चालीस बेड में से अड़तीस बेड रिक्त हैं।

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