चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। आज विनायक चतुर्थी भी है। कुष्मांडा यानी कुम्हड़ा। कुष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानि कि- कद्दू, यानि कि पेठा, जिसका हम घर में सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते हैं। लक्ष्मी जी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और पैसों की कमी नहीं होती।
मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत ही प्रिय है, इसलिए मां दुर्गा का नाम कुष्मांडा पड़ा। माता के सात हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा नजर आता है, जबकि आठवें हाथ में जप की माला रहती है। माता का वाहन सिंह है और इनका निवास स्थान सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है।
इस दिन माता की कथा सुनें और मंत्रों के जाप करते हुए ध्यान करें फिर अंत में आरती उतारने के बाद प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें। अंत में माता को भोग लगाएं।
कुत्सित: कूष्मा कूष्मा-त्रिविधतापयुत: संसार: ।
स अण्डे मांसपेश्यामुदररूपायां यस्या: सा कूष्मांडा ।।