स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में 4 नए जिले बनाए जाने की घोषणा की थी। सीएम बघेल ने मोहला मानपुर, सारंगढ़ बिलाईगढ़, सक्ती, मनेंद्रगढ़ को जिला बनाने का ऐलान किया था। हालांकि, घोषणा के पांच दिन के अंदर ही प्रस्तावित जिले के नाम बदल दिया गया। मनेंद्रगढ़ जिले का नाम मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरपुर किया गया।
शुरुआत में नाम को लेकर विरोध के बाद अब एक बार फिर मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरपूर जिला असमंजस की स्थिति में है। क्योंकि चार जिलों में से केवल तीन नवगठित ज़िलों के लिए नोटिफिकेशन जारी हुआ है, इनमे सक्ती, मानपुर-मोहला और सारंगढ शामिल हैं। चौथा प्रस्तावित ज़िला मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर पर नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। चौथे जिले का नोटिफिकेशन जारी नहीं होने से तरह-तरह की चर्चाएं जन्म ले रही हैं।
कहां फंस रहा है पेंच
दरअसल, किसी भी ज़िले का गठन राज्य सरकार करती है, लेकिन किसी विकासखंड को इसके लिए दो भागों में विभाजित नहीं किया जा सकता। विकासखंड की सीमा केंद्र सरकार तय करती है और केंद्र किसी विकासखंड को दो भागों में बाँटते हुए आधा इस ज़िले में और आधा दूसरे ज़िले में क़तई स्वीकार नहीं करेगा।
जो प्रस्ताव आया था, उसमें विकासखंड को ही दो भागों में विभाजित कर दिया गया था। राज्य सरकार के आला अधिकारियों ने जब यह देखा तो फटकार लगाते हुए फिर से प्रस्ताव तैयार करने कहा है। जल्द ही विकासखंड के स्वरुप को बग़ैर छेड़े नए ज़िले का प्रस्ताव आ जाएगा और गजट नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा।
क्षेत्र में उठे विरोध का असर?
बता दें मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर ज़िले की घोषणा के बाद से कई मसलों को लेकर बवाल मचा हुआ है। एक मसला नाम जोड़े जाने पर है, तो एक बवाल ज़िला मुख्यालय वाली जगह को लेकर है। वहीं बैकुंठपुर याने कोरिया जिला जहां से टूट कर यह नया ज़िला प्रस्तावित है, वो इस नए ज़िले को लेकर विरोध में है और इसके लिए उसके पास अपने पर्याप्त कारण हैं। चरणबद्ध आंदोलन और प्रतिनिधि मंडलों का आना लगातार जारी है। ऐसी गरमाहट के बीच जबकि शेष तीन नए ज़िलों का नोटिफिकेशन आया और चौथे का नहीं आया तो सवाल उठना था क़यास लगने थे जो कि लग रहे हैं।