Coal Crisis in Chhattisgarh: रायपुर। कोयले की कमी से छत्तीसगढ़ में चल रहा बिजली संकट आने वाले दिनों में और भीषण रुप ले सकता है। कुछ पावर प्लांट में तो केवल 1 दिन का ही कोयला बचा हुआ है।
दरअसल, कोयले की अनियमित आपूर्ति के चलते प्रदेश के 16 में से 4 पॉवर प्लांट सुपर क्रिटिकल स्टेज तक पहुंच गया हैं, जबकि 6 क्रिटिकल स्टेज में पहले से शमिल हैं। 28 सितंबर को जारी सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के फ्यूल मैनेजमेंट रेकार्ड के मुताबिक पॉवर प्लांट के पास बमुश्किल 5 से 7 दिन का ही स्टॉक बचा है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि बारिश के कारण उत्पादन पर प्रभाव पड़ा है।
छत्तीसगढ़ (Coal crises inn Chhattisgarh) में कुल 16 पावर प्लांट है जिनमें 9 निजी, 3 राज्य सरकार के ज्वांइंट वेंचर से और 3 केंद्र सरकार द्वारा संचालित हैं। इनकी क्षमता 20 हजार 60 मेगावाट है।
जानकारी अनुसार, रोड सेल कोल ट्रांसपोर्टेशन को फिलहाल एसईसीएल की ओर से बंद किया गया है। इसके पीछे कारण बताया गया है कि खदान से साइडिंग जाने वाली सड़कें जर्जर हो चुकी हैं। सुधार में वक्त लगेगा। इसमें निजी असर पड़ा है।
इसमें निजी क्षेत्र का अकलतरा TP AS ॥,800 मेगावाट, बांदाखार TPAS (एमसीसीपीएल) 300 मेगावाट, बिंजकोट टीपीएस (एसकेएस) 600 मेगावाट, पताड़ी टीपीपी (लैंको) 600 मेगावाट, तमनार टीपीपी (जिंदल पावर) 2,400 मेगावाट शामिल हैं। सेंट्रल सेक्टर का कोरबा एसटीपीएस 2,600 मेगावाट पर भी असर पड़ा है।
इस मौसम में ज्यादा होती है मांग
रबी फसलों की बुआई के दौरान ग्रामीण इलाकों में बिजली की मांग ज्यादा होती है। दूसरी ओर, त्योहारों में शहरी इलाकों में भी बिजली की खपत बढ़ जाती है। मौजूदा हालत में सभी बिजली संयंत्रों में पूरी क्षमता से उत्पादन हो तो बमुश्किल एक दिन के लायक कोयले का स्टॉक बचा हुआ है।
कोयले की कमी के 3 प्रमुख कारण
– International Market में कोयले के दाम में काफी तेजी आई है, इसीलिए विदेश से आने वाला कोयला फ़िलहाल उद्योगों ने बंद करवा दिया है।
– Corona फर्स्ट वेव के बाद जो उद्योग खासकर है नॉन पावर सेक्टर के थे, वे खुल गए। ऐसे में बिजली डिमांड बढ़ गई है।
– सितंबर में सबसे ज्यादा बारिश हुई है, इसके कारण कोयले का खनन प्रभावित हुआ है। Demand के मुकाबले सप्लाई खासी प्रभावित हो रही है।
कंपनियों ने स्टॉक रखने से मना कर दिया था
कोल कंपनियों ने पिछले साल Power Sector के उद्योगों को कहा था कि 45 दिन का कोयला स्टॉक करें, मगर उद्योगों ने मना कर दिया।
जिसके चलते कोल कंपनियों के पास भारी स्टॉक बच गया था। इस वर्ष बारिश और भारी डिमांड के कारण कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ तो इसका असर पावर सेक्टर के उद्योगों पर देखा जा रहा है।
बंद हो सकती हैं कई इकाइयां
Power Plant के पास बमुश्किल 5 से 7 दिन का ही स्टॉक बचा है। कुछ पावर प्लांट में तो केवल 1 दिन का ही कोयला बचा है। ऐसे में यदि जल्द की कोयला इन इकाइयों के पास नहीं पहुंचा तो उत्पादन ठप हो सकता है। कोयला स्टाक में आई कमी के लिए पावर कारपोरेशन प्रबंधन की खामियां सामने आ गई हैं।
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