इतिहास में 25 जून का वह दिन है जिसे शायद ही कोई भारतीय याद रखना चाहेगा। यह वह समय है जब देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक आपातकाल लगाया गया था। इस 21 महीने की अवधि में देश ने बहुत ही चीज़े देखी जो पहले कभी भारतीय इतिहास में घटित नही हुई है।
इतिहास के अनुसार आपातकाल
इतिहास के अनुसार आज से 40 साल पहले तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी थी भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद समय था दरअसल, सन 1971 में हुए लोकसभा चुनाव के मुख्य प्रतिद्वंदी राजनारायण चुनाव परिणाम आने के 4 साल बाद परिणाम को चुनौती दी जिसके बाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर 6 साल तक चुनाव ना लड़ने का प्रतिबंध लगा दिया और राज नारायण जी को चुनाव में विजई घोषित किया इसके बाद इंदिरा गांधी ने अदालत के इस निर्णय को मानने से इनकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की घोषणा की और 26 जून को आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी गई।
इस आपातकाल से इंदिरा गांधी का मकसद अपनी राजनितिक कुर्सी को बचाना था! साथ ही वह सरकारी कर्मचारियों पर रिश्वतखोरी व मनमाने ढंग से काम करने के तरीके पर लगाम लगाना भी चाहती थीं।
यह वही दौर था, जब आबादी के नियंत्रण को रोकने के लिए मनमाने ढंग से नसबंदी अभियान चलाया जा रहा था। यही नहीं हैरान कर देने वाली बात तो यह थी कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को भी सेंसरशिप लगाकर, उससे आज़ादी का हक छीन लिया गया था। सरकार की गलत नीतियों और प्रशासन की क्रूरता के खिलाफ कुछ भी प्रकाशित नहीं किया जा सकता था।
उच्च अधिकारियों ने भी अपने विरोधियों को आपातकाल की आड़ में प्रताड़ित करते रहे। समूचे भारत में सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले को सलाखों के पीछे धकेल दिया जा रहा था। विपक्ष के बड़े नेताओं को भी सलाखों के पीछे डाल दिया गया।