देश के लगभग सभी हिस्सों में अभी बारिश का मौसम चल रहा है। 22 अगस्त को रक्षा बंधन के साथ ही सावन का समापन हो जाएगा। सावन के महीने में लोग वैसे ही मांसहारी भोजन से दूरी बनाकर रखते हैं। इस दौरान लोग मांस-मछली ही नहीं अंडे खाना भी छोड़ देते हैं। लेकिन, बरसात के मौसम में चाहे सावन चल रहा हो या न चल रहा हो, मछली नहीं खाने की सलाह दी जाती है। इतना ही नहीं, कई जगहों पर तो बरसात के मौसम में मछलियां पकड़ने पर रोक भी लगा दी जाती है। बरसात के मौसम में आखिर मछली खाने से क्यों मना किया जाता है, इसके पीछे कई कारण हैं।
बरसात के मौसम में मछली समेत कई जलीय जीवों का प्रजनन काल होता है। इस दौरान मछलियों के पेट में लाखों अंडे पल रहे होते हैं जो कुछ समय बाद जन्म लेने वाले होते हैं। यदि इस मौसम में मछलियां खाई जाएं तो उनकी आने वाली एक पीढ़ी सीधे-सीधे खत्म हो जाएंगीं और अगर ऐसा लंबे समय तक चला तो ऐसा होना भी संभव है कि एक वक्त आने पर खाई जाने वाली मछलियों की कई प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी।
बरसात के मौसम में प्रजनन के कारण मछलियों में कई तरह की बीमारियां भी पनप रही होती हैं, जिन्हें खाने से फूड पॉइजनिंग की समस्याएं भी हो सकती हैं। बरसात के मौसम में शहरों से निकलने वाला प्रदूषित कचरा नदियों में जाकर मिल जाता है। जिनकी वजह से मछलियां बीमार हो जाती हैं।ऐसे में यदि आप बीमार मछलियों को खाते हैं तो आपका बीमार होना भी लगभग तय रहता है। मछलियों को ज्यादा समय तक ताजा रखने के लिए कई तरह के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में केमिकल्स वाली मछलियों को खाने से आप बीमार हो सकते हैं।