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Krishna Janmashtami 2021: यहां श्री कृष्ण आज भी आते हैं रास रचाने, कण-कण कराती है मुरलीधर के होने का एहसास…

Krishna Janmashtami 2021: हर साल कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को विशेष रूप से श्री के जन्म के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। आप सभी जानते होंगे कि श्री कृष्ण के बचपन से जुड़ी विभिन्न कथाएं बहुत ही ज्यादा प्रचलित हैं। किंतु क्या आप यह जानते है कि आज भी धरती पर ऐसा एक स्थान है जहां पर श्री कृष्ण आते है? हो गए न हैरान। यह स्थान है वृन्दावन नगरी का निधिवन। जितना सुन्दर एवं आकर्षक यह स्थान है उतना ही यह रहस्यमयी भी है। समय समय पर लोगों को इस स्थान का कण-कण श्री कृष्ण के होने का आभास कराता आया है।
Theguptchar Krishna Janmashtami
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ऐसा माना जाता है कि आज भी श्री कृष्ण एवं राधा रानी यहां रासलीला करने के लिए आधी रात को आते हैं। लोगों का कहना है कि वह रास रचने के बाद वे वहीं स्थित रंग महल में आराम करते हैं। इस महल के आस-पास बेल स्थित है जो रात्रि पहर में गोपियों का रूप धारण कर श्री कृष्णा और राधा रानी के साथ नृत्य करती हैं। इन मान्यताओं के कारण यह स्थान शाम को जल्दी बंद कर दिया जाता है और किसी को भी अंदर जाने की नहीं दिया जाता है।
Theguptchar Krishna Janmashtami
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 सिर्फ मनुष्य ही नहीं, यहां विचरण करने वाले पशु-पक्षी भी शाम होते ही वहां से चले जाते हैं। भक्तगण यहां शृंगार का सामान एवं भोग चढ़ाते है जो अगली सुबह बिखरा हुआ मिलता है। मल में श्री कृष्ण एवं राधा रानी के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि उनके आराम के लिए लगाया पलंग सुबह देखने पर ऐसा लगता है मानों पिछली रात कोई वहां सोया हो।
Theguptchar Krishna Janmashtami
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जानकारी के मुताबिक, इस स्थान पर किसी भी मनुष्य का रास के समय होना सख्त मना है। जैसे ही शाम की आरती होती है, उसके बाद दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। कहते हैं कि सुबह तक सब दरवाजे बंद ही रहते हैं। बात दें कि ऐसी बहुत सी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें जिस किसी ने भी श्री कृष्ण का रास देखने की कोशिश की वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठा।
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आपको बता दें कि इस स्थान से जुड़ी एक और विशेष मान्यता है वह ये है कि यहां स्थित सभी पौधे जोड़े में लगे हुए हैं और पेड़ की शाखाएं भी एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। किसी को भी इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने की अनुमति नहीं है। आज तक जिसने भी ले जाने की कोशिश की वह किसी न किसी आपदा का शिकार हो गया। ऐसा कहा जाता है कि यहां स्थित बांके-बिहारी जी के मंदिर में श्री कृष्ण का अभिषेक एवं भोग कराने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

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