प्रयागराज। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के मौत के बाद आज उनका सुसाइड नोट सामने आया है। आत्महत्या से भी कहीं अधिक उनके द्वारा छोड़े गए कथित सुसाइड नोट ने कुछ अनुत्तरित सवाल पीछे छोड़ दिए हैं, जिनके उत्तर तलाशना जरूरी है। इसमें यह कहा गया है कि किस तरह से आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी उन्हें फंसाने की कोशिश में लगे हुए थे।
महंत नरेंद्र गिरि के लेटर पैड पर ही ये सुसाइड नोट लिखा गया है। हर पन्ने के नीचे महंत नरेंद्र गिरि ने साइन किए हुए हैं। इस मामले में पुलिस ने उनके शिष्य योगगुरु आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को हिरासत में लिया गया है।
सुसाइट नोट के पहले पन्ने की शुरुआत में लिखा है, ”मैं महंत नरेंद्र गिरि आज मेरा मन आनंद गिरि के कारण विचलित हो गया है। हरिद्वार से ऐसी सूचना मिली कि आनंद गिरि कम्प्यूटर के माध्यम से एक लड़की के साथ मेरी फोटो जोड़कर गलत काम करते हुए बदनाम करेगा। आनंद गिरि का कहना है कि महराज यानि मैं सफाई देते रहोगे। मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, अगर मेरी बदनामी हो गई तो मैं समाज में कैसे रहूंगा। इससे अच्छा मर जाना ही ठीक है।”
महंत के नोट के मुताबिक, वह बीते 13 सितंबर को आत्महत्या करने जा रहे थे, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाए। 20 सितंबर को जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक-दो दिन में आनंद गिरि कंप्यूटर के माध्यम से मोबाइल से किसी लड़की या महिला की उनके साथ फोटो लगाकर गलत काम करते हुए फोटो वायरल कर देगा। नरेंद्र गिरि ने लिखा, ”मैंने सोचा कहां तक सफाई दूंगा एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा। मैं जिस पद पर हूं वह गरिमामयी पद है। सच्चाई तथा लोगों के बाद में चल रहा है, लेकिन मैं तो बदनाम हो जाऊंगा। इसीलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं, जिसकी जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या तिवारी एवं उसका लड़का संदीप तिवारी की होगी।”
नोट में लिखा है, ”मेरी मौत की जिम्मेदार आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी संदीप तिवारी पुत्र आद्या प्रसाद तिवारी की होगी। प्रयागराज के सभी पुलिस अधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध करता हूं। मेरे आत्महत्या की जिम्मेदार उपरोक्त लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जाए जिससे मेरी आत्मा को शांति मिले।’