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अब जाग रहे हैं मुसलमान, वर्षों से नजरअंदाज हो रही थी वक्फ संपत्ति: वक्फ बिल पर आदिल अहमद

रायपुर: केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पारित *वक्फ बिल* को लेकर देशभर में मुस्लिम समुदाय के भीतर बहस छिड़ गई है। इस बीच रायपुर के पत्रकार आदिल अहमद की सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी ने इस मुद्दे को नई दिशा दे दी है। आदिल ने वक्फ संपत्तियों की दशा और मुस्लिम समाज की भूमिका पर गहरी चिंता जाहिर की है।

आदिल अहमद ने अपने पोस्ट में लिखा, “एक तरीके से ठीक भी हुआ, क्योंकि इतने सालों से कोई मुसलमान का ध्यान भी नहीं था वक्फ की संपत्ति पर, अब आंखें खुल रही हैं पठानों की…”

उनका यह बयान मुस्लिम समाज में दशकों से चली आ रही उदासीनता पर सवाल उठाता है। उन्होंने वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और उनके मूल उद्देश्य से भटकने पर आत्ममंथन की जरूरत पर बल दिया।

उपेक्षित रहा वक्फ का उद्देश्य
आदिल ने कहा कि वक्फ बोर्ड की स्थापना मुस्लिम समाज की शिक्षा, आत्मनिर्भरता और कल्याण के लिए की गई थी। परंतु वास्तविकता यह है कि वर्षों से इन संपत्तियों का समुचित उपयोग नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि कई विद्वानों और स्कॉलरों ने लगातार मंचों से वक्फ संपत्तियों के सदुपयोग की अपील की, मगर नतीजा शून्य ही रहा।

फिरकों में बंटा समाज नहीं कर सकता तरक्की
अपनी टिप्पणी में आदिल अहमद ने मुस्लिम समाज के अंदरूनी मतभेदों और फिरकों की राजनीति पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कुरान की उस आयत का हवाला दिया जिसमें अल्लाह कहता है, “तुम सब एक रस्सी को थामे रहो और आपस में फिरकों में न बंटो”। उन्होंने लिखा, “हम यहाँ शिया-सुन्नी-अहलेहदीस की लड़ाई में उलझे रहे।”

यह टिप्पणी स्पष्ट करती है कि जब तक समाज आपसी मतभेदों को नहीं सुलझाता, तब तक किसी भी संसाधन का सही इस्तेमाल असंभव है।

सरकार का हस्तक्षेप चेतावनी है
आदिल अहमद ने केंद्र सरकार के इस कदम को चेतावनी की तरह देखा है। उन्होंने कहा, “ईश्वर जो चाहता है वही होता है।”

उनका मानना है कि यह निर्णय एक अवसर है आत्मचिंतन का—समाज को यह सोचने की ज़रूरत है कि दशकों से जो संसाधन उनके पास थे, उनका उपयोग क्यों नहीं किया गया। आदिल का कहना है कि जब समाज खुद अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता, तब सरकारों को हस्तक्षेप करने का अवसर मिल जाता है।

समाज को खुद उठाना होगा जिम्मा
आदिल अहमद की यह टिप्पणी सिर्फ एक व्यक्तिगत प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक सोच की अभिव्यक्ति है। उन्होंने मुस्लिम समाज को आईना दिखाते हुए कहा है कि यदि अब भी समाज नहीं जागा, तो आने वाले समय में स्थितियाँ और बिगड़ सकती हैं।

वक्फ बिल पर आदिल अहमद की यह टिप्पणी समाज के लिए एक चेतावनी है—एक पुकार है जागरूकता और सुधार की। यह समय है कि मुस्लिम समाज एकजुट होकर वक्फ जैसी संस्थाओं के संरक्षण और उपयोग की दिशा में ठोस कदम उठाए।

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