मध्यप्रदेश के इस गांव में दूध बेचने पर दी जाती है सजा, जानिए वजह
मध्यप्रदेश में एक गांव ऐसा भी है जहां कभी दूध नहीं बेचा जाता. ग्रामीणों का मानना है कि यदि दूध बेचा दिया, तो कुछ न कुछ अनिष्ट झेलना पड़ता है. इस वजह से लोग दूध बेचने से डरते हैं. हालांकि ग्रामीणों ने अपनी कमाई के लिए दूध की जगह घी को व्यवसाय का जरिया बनाया है.
दरअसल भिंड जिले के अटेर विधानसभा क्षेत्र के कमई गांव की पूरी आबादी करीबन तीन हजार के आसपास है. यादव जाति के गांव में कभी दूध नहीं बेचा जाता. ग्रामीणों के मुताबिक, दूध बेचने पर गांव के देवता हरसुख बाबा उनको सजा देते हैं. इस वजह से ग्रमीण दूध बेचने से डरते है, हालांकि गांव के लोग दूध की जगह देशी घी बेचते है, ग्रामीण सोनू यादव बताते हैं बाबा की बात नहीं मानी, उसकी भैंस दूध देना बंद कर देती है या फिर उसके थनों से खून आने लगता है.
50 साल से चली आ रही प्रथा
कमई के पूरा गांव में दूध न बेचने की प्रथा पिछले 50 साल से चली आ रही है. इस गांव में दूध की जगह घी बेचा जाता है इस वजह से गांव में 50-50 किलो तक देशी घी मिल जाएगा, वहीं हरसुख बाबा के प्रति समर्पित होने के कारण गांव वाले दूध और घी में किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं करते हैं, जबकि यहां के घी की शुद्धता को देखते हुए दूर- दूर से लोग घी और मक्खन लेने गांव में आते हैं.
गांव में बना है विशाल मंदिर
कमई गांव में हरसुख बाबा का एक बड़ा विशाल मंदिर बना है. इस मंदिर पर आसपास के गांव के लोगों की आस्था जुड़ी है. इन्ही बाबा के कहने पर गांव के लोगों ने दूध बेचना बंद किया है. इस मंदिर पर साल में एक बार विशाल भीड़ होती है और दूर दूर से लोग दर्शन करने आते हैं.