रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 19 अप्रैल से राष्ट्रीय जनजाति साहित्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जानिए कौन से जनजातीय समुदाय होंगे शामिल और क्या रहेगा इस बार खास…
राजधानी रायपुर में 19 अप्रैल से राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का आगाज होने जा रहा है। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा किया जाएगा। कार्यक्रम की शुरुआत 19 अप्रैल से होगी तथा समापन 21 अप्रैल को किया जाएगा।कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल अनुसुइया उइके द्वारा की जाएगी। इस आयोजन में राज्य स्तरीय जनजातीय नृत्य प्रदर्शन और राज्यस्तरीय कला और चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन होगा। सभी आयोजन आदिम जाति अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्था द्वारा आयोजित किया जाएगा।
कौन सी प्रतियोगिताओं का होगा आयोजन
जनजातीय महोत्सव में जहां छत्तीसगढ़ कला के अंतर्गत चित्रकला देखने को मिलेंगे वहीं छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध नृत्य कला का भी प्रदर्शन किया जाएगा इनमें जनजाति नृत्य सोंदो, डुंडा, गेड़ी, मांदरी, डंडार ,दशहरा कर्मा, विवाह नृत्य जैसे नृत्य कला शामिल है। इस कार्यक्रम में हस्तकला को महत्व देते हुए माटी, बांस, दीया, बेटमेटल आदि की प्रदर्शनी लगाई जाएगी जो छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करती नजर आएगी। इस आयोजन और प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को लोगों के सामने उजागर करना है।
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वरिष्ठ साहित्यकारों और विद्वानों का भी होगा आगमन
इस बार का जनजातीय महोत्सव इस वजह से भी खास होगा क्योंकि इसमें वरिष्ठ साहित्यकारों और शोधकर्ताओं को भी निमंत्रण भेजा जाएगा। जो लंबे समय से जनजातीय विषय पर लेखन कार्य कर रहे हैं। इन शोधकर्ता द्वारा प्रस्तुत शोध को सारांश का रूप देकर पुस्तक का आकार देने की तैयारी है। जनजातीय शोधकर्ताओं के साथ विख्यात साहित्यकार, रचनाकार तथा विश्वविद्यालयों के प्रोफ़ेसर भी कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
पुस्तक मेला रहेगा आकर्षण का केंद्र
एक ओर जहां पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में जनजातीय महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है वहीं इसमें और चार चांद लगाने के लिए पुस्तक मेले का भी आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देश के प्रतिष्ठित लेखकों द्वारा जनजातीय विषयों पर लिखी पुस्तकों को शामिल किया जाएगा साथ ही 10 प्रतिष्ठित प्रकाशकों को भी आमंत्रित किया गया है। इन पुस्तकों के करीब 30 स्टाल लगेंगे जिनमें वन विभाग से संबंधित जनजातीय लोगों की कला संस्कृति से जुड़ी, वन्य औषधि, बस्तर के व्यंजन, जनजाति चित्रकलाऔर हस्त कला से संबंधित पुस्तकों को शामिल किया जाएगा।
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