बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में ग्रामीणों ने एक बार फिर जवानों पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाया है। कुछ दिन पहले ही पुलिस ने एक कथित मुठभेड़ में 3 लाख रुपए के इनामी नक्सली रितेश पुनेम के मारे जाने का दावा किया था। मगर अब इस मामले में परिजन और ग्रामीणों का कहना है कि यह मुठभेड़ नहीं बल्कि हत्या हैं।
ग्रामीणों और परिजनों का कहना है कि रितेश ने 13 महीने पहले ही संगठन छोड़ दिया था। जवानों ने घर से रितेश को उठाया, इसके बाद वे उसे पहाड़ी में लेकर गए, फिर गोली मार दी। वहीं, दूसरी ओर परिजनों के इस आरोप को बीजापुर के SP कमलोचन कश्यप ने मनगढ़ंत कहानी बताया है। ग्रामीण और परिजन इस मामले में न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं।
ग्रामीण सन्नु कोरसा, अवलम बुधरी और कोरसा मंगु ने इस घटना को लेकर बताया कि 11 मार्च की सुबह लगभग 5 बजे जवानों की टीम गांव पहुंची थी। उन्होंने पूरे मोसला गांव को घेर लिया था। तभी रितेश पुनेम के साथ-साथ इन तीनों को जवानों ने पकड़ लिया और कुछ देर बाद जवानों ने सन्नू, बुधरी और मंगु को छोड़कर रितेश पुनेम को अपने साथ कैका की ओर ले गए। करीब साढ़े 7 बजे फायरिंग की आवाज सुनाई दी। फिर पता चला कि जवानों ने मुठभेड़ का नाम देकर रितेश पुनेम की गोली मारकर हत्या कर दी है।
रितेश पुनेम के भाई राजू पुनेम ने जानकारी दी कि रीतेश पुनेम साल 2007 से नक्सलियों के साथ चला गया था। उसने 13 सालों तक नक्सल संगठन में रहकर काम किया। मगर परिवार के दबाव की वजह से उसने संगठन और हथियार को त्याग कर साल 2021 में घर वापसी की थी। इसके बाद वह मोसला में अपने मामा बुधरू हेमला और मामी लख मी हेमला के साथ रहकर उनका पालन पोषण कर रहा था।
राजू ने बताया कि फोर्स गांव पहुंची। पहले उसने रितेश पुनेम को घर से उठाया। उसके बाद मुठभेड़ का नाम देकर गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। राजू पुनेम ने कहा कि यदि जवानों ने उसे गिरफ्तार कर ही लिया था तो वे उसे जेल भेजते। जवानों ने निहत्थे व्यक्ति की हत्या कर एक बुजुर्ग के सहारे को ही छीन लिया।
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