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दिवंगत शिक्षकों की विधवाएं राहगीरों के जूते साफ़ करने को मजबूर , छत्तीसगढ़ सरकार नहीं सुन रही गुहार

छत्तीसगढ़ बीते साल में हुए शिक्षकों की मौत के बाद अब उनकी विधवाएं सड़क पर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं जिस विरोध में महिलायें बीते सोमवार को बूढ़ातालाब में जूते पॉलिश करने पर मजबूर हैं बता दें की महिलाओं ने सड़क के किनारे राहगीरों के जूते पॉलिश किए। जिसके बदले में लोगों ने उन्हें 10-20 रुपए दिए जिससे वे अब अपने आंदोलन का खर्च चलाएंगी । बीते 6 दिसंबर से ये सभी महिलाएं रायपुर में धरना दे रही हैं। धरने में कोई जांजगीर से पहुंचा है तो कोई राजनांदगांव से। बस्तर, बिलासपुर, दुर्ग से भी महिलाएं यहां पहुंची हैं।

आपको बता दें की ये सभी महिलाएं पंचायत स्तर स्कूलों के शिक्षकों की पत्नियां हैं। जिनमें किसी के पति की मौत हादसे में हो गई तो किसी की कोविड से और कई की जान दूसरी बीमारियों ने ले ली। जसके बाद अब तक इन्हें सरकारी नियमों के मुताबिक अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई है। इस संगठन की अध्यक्ष माधुरी मृगे ने बताया कि हमें सरकार ने आश्वासन देकर वरिष्ठ अफसरों की कमेटी बनाई थी। जिसके एक महीने बाद इस कमेटी को अपनी एक रिपोर्ट देनी थी। अफसरों ने रिपोर्ट अब तक नहीं दी है।

बात चित में आगे माधुरी ने बताया कि 6 दिसंबर से वे सब धरना स्थल पर ही रहने को मजबूर हैं। वे सारे अपना चूल्हा-चौका यहीं लेकर आ गए हैं इन सारी बहनों के पास आर्थिक रूप से कुछ नहीं बचा है। पति की मौत के बाद ये सभी औरतें बेसहारा महसूस कर रही हैं। ये सिर्फ अपना हक मांग रही हैं कि हमें अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। सारी बहनें दूसरे लोगों के जूते साफ कर रही हैं। उनका कहना है की योग्यता के अनुसार उन्हें अनुकंपा नियुक्ति दी जाए, किसी ने एमए किया किसी ने बीएड, सभी ग्रेजुएट हैं मगर सरकार इन्हे रोजगार नहीं दे रही है।

क्वालिफिकेशन नियम का हवाला

बता दें की दिवंगत शिक्षकों की पत्नियां 12वीं पास हैं, तो किसी की पत्नियों ने बीएड भी किया है। जिसके बाद इन्हें टीचर एजिबिलिटी टेस्ट, D.ED के बिना अनुकंपा नियुक्ति न दिए जाने का नियम बताया जा रहा है। दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा संघ की अध्यक्ष माधुरी मृगे ने बताया कि चुनाव के समय कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कहा था कि सरकार बनने के बाद नियमों को शिथिल किया जाएगा। आपको नौकरी दी जाएगी। माधुरी ने कहा कि हमारे साथ जो हुआ अचानक हुआ, कोई तैयारी तो नहीं करता है न… कि पति मरे तो मैं पहले से ही सारे कोर्स कर लूं। हम चाहते हैं कि जिसकी जैसी योग्यता है उसे वैसा रोजगार सरकार को दे देना ।

हमारी दिक्कत समझने वाला कोई नहीं

जांजगीर से विरोध में पहुंची अश्वनी सोनवानी के पति पंचायत शिक्षक थे। जिनकी 2017 में हार्ट अटैक से मौत हो गई। जिनके दो बच्चे हैं और उनके ससुर को लकवा मार गया है। लोगों से उधार रुपए लेकर वो अपने बुजुर्ग ससुर का इलाज करवा रही हैं। जिनकी 17 साल की बेटी ने 10वीं में टॉप किया था। मगर अब आगे पैसों की तंगी की वजह से उनकी बेटी आगे पढ़ नहीं पा रहीं है। अश्वनी का सवाल है कि हम घर कैसे चलाएं, जिन शिक्षकों का संविलियन हुआ उनके परिवार को सरकार ने अनुकंपा नियुक्ति दे दी, हमारे पति भी तो पढ़ाते मेहनत करते थे। हमें क्यों परेशान किया जा रहा है हमारी तकलीफ कोई समझने को तैयार कयों नहीं है ।

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