मॉनसून सत्र में सांसदों ने जो हंगामा किया है उस पर अब शीतकालीन सत्र में एक्शन लिया गया है। हंगामा करने वाले 12 सासदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। इन सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि ये सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकेंगे।
इन सांसदों को किया गया निलंबित
हंगामा करने वाले जिन 12 सांसदों को सस्पेंड किया गया है, उनमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना के सांसद शामिल हैं। इनमें एलामारन करीम CPM से और कांग्रेस की फूले देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह और सीपीआई के बिनॉय विश्वम, टीएमसी की डोला सेना एवं शांता छेत्री, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई का नाम शामिल हैं।
वहीं, लोकसभा और राज्यसभा से कृषि कानूनों की वापसी पर मुहर लगने के पश्चात कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अब नई मांग रखी है। उन्होंने कहा कि इन बिलों की वापसी और खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में यह माना था कि हमसे गलती हुई है। आगे उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने यह स्वीकार किया है कि उनसे गलती हुई है तो फिर आंदोलन के दौरान मरे किसानों के परिजनों को मुआवजा दिया जाना चाहिए।
राहुल गांधी ने कहा, ‘हमने कहा था कि सरकार को इन तीन काले कानूनों को वापस लेना पड़ेगा। देश के 3 से 4 पूंजीपतियों के आगे किसानों की शक्ति कमजोर नहीं हो सकती।’
आगे उन्होंने कहा कि यह किसानों और मजदूरों की सफलता है। किंतु जिस तरीके से ये कानून रद्द कर दिए गए, संसद में इसके बारे में चर्चा ही नहीं होने दी। इससे यह पता चलता है कि सरकार चर्चा से डरती है। यह दर्शाता है कि सरकार यह जानती है कि उन्होंने गलत काम किया। हमें उन लोगों के बारे में चर्चा करनी है, जो आंदोलन में शहीद हो गए।
उन्होंने कहा, हमें इस विषय में चर्चा करनी थी कि किसानों के खिलाफ बनाए गए कानूनों के पीछे किसकी ताकत थी। इसके अतिरिक्त एमएसपी, लखमीपुर खीरी और किसानों की अन्य समस्याओं पर चर्चाएं होनी थी। लेकिन सरकार ने इसे होने नहीं दिया। सरकार के कन्फ्यूजन में है। उसे लगता है कि किसानों, गरीबों और मजदूरों को दबाया जा सकता है, मगर ऐसा नहीं हो पाया।
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