रायपुर। छत्तीसगढ़ आदिवासी छात्र संगठन ने प्रदेश के मंत्रियों और दूसरे कांग्रेस नेताओं को पत्र सौंपा जिसमें उन्होंने अपना पक्ष स्पष्ट करने की मांग की। आरक्षण को लेकर दो बड़े आरक्षित जातीय समुदायों के बीच विवाद के हालत हैं। यह मामला अनुसूचित जनजाति को मिले 32 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका से जुड़ा हुआ है। यह याचिका अनुसूचित जाति से जुड़ी गुरु घासीदास साहित्य एवं सांस्कृतिक संस्थान और पिछड़ा वर्ग के कुछ लोगों ने दाखिल की है। इसका फैसला अब बहुत नजदीक है, तो ऐसे में आदिवासी समाज बेचैन है। आज आदिवासी छात्र संगठन के युवाओं ने मंत्री शिव कुमार डहरिया से कहा कि वे सतनामी समाज के बड़े नेता के रूप में इस याचिका पर अपना पक्ष स्पष्ट करें।
जानकारी के मुताबिक, आदिवासी छात्र संगठन के अध्यक्ष योगेश ठाकुर की अगुवाई में पहुंचे युवाओं ने नगरीय प्रशासन मंत्री शिव कुमार डहरिया से मुलाकात करने का प्रयास किया। लेकिन बाहर रहने से उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। फिर, छात्रों ने उनके निज सचिव को एक पत्र सौंपा। आदिवासी छात्रों ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रुद्र कुमार और अनुसूचित जाति आयोग की सदस्य पद्मा मनहर के नाम ऐसा ही एक और पत्र रायपुर तहसीलदार को सौंपा है। योगेश ठाकुर ने कहा, हमने सतनामी समाज के इन बडे़ और वरिष्ठ नेताओं से यह जानने का प्रयास किया है कि क्या वे आदिवासियों के 32% आरक्षण के खिलाफ काम करने वालों के साथ है या फिर आदिवासी और अनुसूचित जाति की समरसता के साथ हैं।
आगे ठाकुर ने कहा, हाईकोर्ट को आरक्षण संशोधन अधिनियम 2011 की वैधता पर फैसला लेना है। यह फैसला चाहे 6 सितंबर को आए या अगली किसी तारीख में, SC-ST-OBC का 12-32-14 कुल मिलाकर 58% आरक्षण का बचना लगभग असंभव है। एक यह बात भी तय है कि फिलहाल इसका कोई राजनीतिक हल नहीं दिख रहा है। यहां तक किया आदिवासी हित में सुप्रीम कोर्ट से भी किसी राहत की ज्यादा कुछ उम्मीद नहीं की जा सकती। योगेश ठाकुर ने कहा, उन लोगों ने दोनों समुदायों के बीच बनी एकता को बनाए रखने की बहुत कोशिश की है, किंतु अब इस याचिका से उस पर संकट बढ़ता हुआ दिख रहा है।
आरक्षण बढ़ाने-घटाने से शुरू हुआ टकराव
बता दें कि साल 2011 तक अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता रहा। फिर, 2011 में सरकार ने जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने की बात कहकर अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत आरक्षण दिया और अनुसूचित जाति का आरक्षण 12 प्रतिशत कर दिया गया। रायपुर के गुरु घासीदास साहित्य एवं सांस्कृतिक संस्थान ने इसको उच्च न्यायालय में चुनौती दी। इसके बाद, OBC और सामान्य वर्ग के कुछ लोग भी इसके खिलाफ कोर्ट गए।
कल उच्च न्यायालय में होगी मामले की सुनवाई
जानकारी के अनुसार, कल उच्च न्यायालय बिलासपुर में इस मामले की सुनवाई होने वाली है। 32 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ दायर की गई याचिका के खिलाफ आदिवासी समाज के एक संगठन और दो कर्मचारियों ने हस्तक्षेप याचिकाएं लगाई हैं। अब देखते हैं कि इस सुनवाई का क्या परिणाम निकलता है। यह कल ही स्पष्ट होगा।
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