आस्था

जानिए क्या होते हैं साधुओं के अखाड़े? जानें इसकी परंपरा और इतिहास…

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का सोमवार को निधन हो गया। नरेंद्र गिरि का शव प्रयागराज के उनके बाघंबरी मठ में ही फांसी के फंदे से लटकता मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई बड़े नेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक जाहिर किया है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर यह अखाड़े हैं क्या? इनकी परंपरा और इतिहास क्या है?
क्‍या है अखाड़ा?
शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों के मान्यता प्राप्त कुल 13 अखाड़े होती हैं। जिसमे पहले आश्रमों के अखाड़ों को बेड़ा अर्थात साधुओं का जत्था कहा जाता था। पहले अखाड़ा शब्द का चलन नहीं था। साधुओं के जत्थे में पीर और तद्वीर होते थे। अखाड़ा शब्द का चलन मुगलकाल से शुरू हुआ। अखाड़ा साधुओं का वह दल है जो शस्त्र विद्या में भी पारंगत रहता है। कुछ विद्वानों का मानना है कि अलख शब्द से ही अखाड़ा शब्द बना है। कुछ मानते हैं कि अक्खड़ से या आश्रम से।
READ MORE: महंत नरेंद्र गिरि का सुसाइड नोट आया सामने, जानिए क्या लिखा है इसमें?
जानिए, प्रमुख पारंपरिक 13 अखाड़े
मूलत: कुंभ या अर्धकुंभ में साधु-संतों के कुल 13 अखाड़ों द्वारा भाग लिया जाता है। इन अखाड़ों की प्राचीन काल से ही स्नान पर्व की परंपरा चली आ रही है।
शैव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े
1. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज प्रयाग (उत्तर प्रदेश)
2. श्री पंच अटल अखाड़ा- चैक हनुमान, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
3. श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी- दारागंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)
4. श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती – त्रंब्यकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)
5. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बाबा हनुमान घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
6. श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा- दशाश्वमेघ घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
7. श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा- गिरीनगर, भवनाथ, जूनागढ़ (गुजरात)
बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े
8. श्री दिगम्बर अनी अखाड़ा- शामलाजी खाकचौक मंदिर, सांभर कांथा (गुजरात)
9. श्री निर्वानी आनी अखाड़ा- हनुमान गादी, अयोध्या (उत्तर प्रदेश)
10. श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा- धीर समीर मंदिर बंसीवट, वृंदावन, मथुरा (उत्तर प्रदेश)
READ MORE: अब नहीं होगी नौकरी की टेंशन! SBI ने मचाया तहलका, घर बैठकर कमाएं 60 हजार रुपये महीना
उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े
11. श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा- कृष्णनगर, कीटगंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)
12. श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)
13. श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)
आठवीं सदी में बने थे ये अखाड़े
कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में 13 अखाड़े बनाए थे। आज तक वही अखाड़े बने हुए हैं। कुंभ मेलों में सभी अखाड़े एक साथ स्नान करते हैं लेकिन नासिक के कुंभ में वैष्णव अखाड़े नासिक में और शैव अखाड़े त्र्यंबकेश्वर में स्नान करते हैं। यह व्यवस्था पेशवा के दौर में कायम की गई जो सन् 1772 से चली आ रही है।
13 अखाड़ों से जुड़ी महत्‍वपूर्ण बातें
अटल अखाड़ा- यह अखाड़ा अपने आप में ही अलग है। इस अखाड़े में केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य दीक्षा ले सकते है। अन्य कोई नही।
अवाहन अखाड़ा- बाकि आखड़ों में महिला साध्वियों को भी दीक्षा दी जाती है लेकिन इस अखाड़े में ऐसी कोई परंपरा नहीं है।
READ MORE: गणेश भगवान का अपमान, नगर निगम ने कचरा गाड़ी में लाई मूर्ति, विसर्जन की जगह लावारिस की तरह फेंकी प्रतिमा
निरंजनी अखाड़ा- यह अखाड़ा सबसे ज्यादा शिक्षित अखाड़ा है। इस अखाड़े में करीब 50 महामंडलेश्र्चर हैं।
अग्नि अखाड़ा- इस अखाड़े में केवल ब्रह्मचारी ब्राह्मण ही दीक्षा ले सकते है। कोई अन्य दीक्षा नहीं ले सकता है।
महानिर्वाणी अखाड़ा- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा का जिम्‍मा इसी अखाड़े के पास है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
आनंद अखाड़ा- यह शैव अखाड़ा है जिसे आज तक एक भी महामंडलेश्वर नहीं बनाया गया है। इस अखाड़े के आचार्य का पद ही प्रमुख होता है।
दिंगबर अणि अखाड़ा- इस अखाड़े को वैष्णव संप्रदाय में राजा कहा जाता है। इस अखाड़े में सबसे ज्यादा खालसा यानी 431 हैं।
निर्मोही अणि अखाड़ा- वैष्णव संप्रदाय के तीनों अणि अखाड़ों में से इसी में सबसे ज्यादा अखाड़े शामिल हैं। इनकी संख्या 9 है।
निर्वाणी अणि अखाड़ा- इस अखाड़े में कुश्ती प्रमुख होती है जो इनके जीवन का एक हिस्सा है। इसी कारण से अखाड़े के कई संत प्रोफेशनल पहलवान रह चुके हैं।
बड़ा उदासीन अखाड़ा- इस अखाड़े उद्देश्‍य सेवा करना है। इस अखाड़े में केवल 4 मंहत होते हैं जो कभी कामों से निवृत्त नहीं होते है।
नया उदासीन अखाड़ा- इस अखाड़े में उन्‍हीं लोगों को नागा बनाया जाता है जिनकी दाढ़ी-मूंछ न निकली हो यानी 8 से 12 साल तक के बच्चे।
निर्मल अखाड़ा- इस अखाड़े में दूसरे अखाड़ों की तरह धूम्रपान की इजाजत नहीं है। इस बारे में अखाड़े के सभी केंद्रों के गेट पर इसकी सूचना लिखी होती है।

Related Articles

Back to top button