पलारी। ब्लॉक के महानदी तट पर बसा हुआ मोहान गांव अब धीरे-धीरे अपनी पहचान खोता चला जा रहा है, क्योंकि जिस तरह से रेत माफिया महानदी से रेत का उत्खनन कर रहे हैं जिसकी वजह से हर साल मोहान गांव का तट 25 से 30 मीटर पानी में कटकर महानदी में समाता जा रहा है।
यहां के ग्रामीण गांव को बचाने के लिए महानदी में होने वाले रेत उत्खनन को बंद करने की कई सालों से मांग कर रहे हैं लेकिन शासन-प्रशासन इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा।
जानकारी के अनुसार, ग्रामीणों ने बैठक करके गांव को बचाने के लिए रेत घाट को बंद कराने का फैसला लिया है। वे इसके लिए मुख्यमंत्री के पास मांग लेकर जाएंगे। यदि वहां सुनवाई नहीं होती है तो उन्हें आंदोलन करने के लिए बाध्य होना होगा।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि मोहान गांव को बचाना है तो यहां रेत घाट को बंद करना पड़ेगा वरना दो चार सालों में मोहान केवल इतिहास के पन्नों में ही रह जाएगा, क्योंकि गांव महानदी में समाहित हो जाएगा। रेत उत्खनन बंद कराने की मांग को लेकर ग्रामीण कलेक्टर, खनिज अधिकारी जनप्रतिनिधि तक से मांग कर चुके हैं लेकिन कोई इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे।
अवैध कारोबार को संचालित करने रेत घाट का ठेका दिया जा रहा है, जिससे ठेकेदार नियम कानून को ताक में रख 24 घंटे मशीन से अवैध उत्खनन करा रहे हैं। इसकी वजह से गांव का तट महानदी में मिलता जा रहा है। अब ऐसे में ग्रामीण किसी भी सूरत में रेत घाट प्रारंभ नहीं होने देना चाहते। ग्रामीण इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं, क्योंकि अब यदि ग्रामीणों ने अपना कदम पीछे हटा लिया तो निश्चित ही अगली बार उनका गांव नहीं बचेगा।
ग्रामीणों ने गांव में बैठक कर गांव को बचाने घाट को बंद कराने का फैसला लिया है। वे इसके लिए मुख्यमंत्री के पास अपनी फरियाद लेकर जाएंगे। लेकिन यदि वहां सुनवाई नहीं होती है तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
महानदी में बह गई 25 से 30 मीटर मिट्टी
इस बार महानदी में आई बाढ़ ने मोहान गांव को करीब 30 मीटर छोटा कर दिया, यह इसलिए क्योंकि जिस तेजी से तट की मिट्टी का कटाव हुआ उससे ग्रामीण काफी डरे हुए हैं। ग्रामीणों इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके पूर्वजों द्वारा बसाया गांव उनके आने वाली पीढ़ियों के लिए नहीं बचेगा।
गांव के सरपंच फिरत के मुताबिक, यह गांव उनके पूर्वजों का बसाया हुआ है और अब अस्तित्व खोता जा रहा है, क्योंकि रेत माफियाओं ने महानदी में अवैध रेत उत्खनन कर महान गांव को ही महानदी में समाहित होने के लिए छोड़ दिया है। हर वर्ष महानदी में आने वाली बाढ़ से गांव का 25 से 30 मीटर मिट्टी तट से कट जाता है और इस तरह गांव महानदी में समाने से मात्र 100 से 120 मीटर ही बचा है। यदि रेत घाट बंद नहीं किया गया तो आंदोलन किया जाएगा और मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की जाएगी।
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