दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के एक सरकारी स्कूल में चिक्की खाकर 26 बच्चे बीमार हो गए। स्कूल स्टाफ ने बीमार बच्चों को तुरंत इलाज के लिए जिला अस्पताल रेफर किया। अस्पताल में बच्चों का इलाज किया गया। इलाज के दौरान 20 बच्चे ठीक हुए तो उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।
वहीं, 6 बच्चों की तबीयत बहुत ज्यादा खराब होने के कारण उनका इलाज किया जा रहा है। जैसे ही घटना की जानकारी मिली, जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। डीईओ प्रवास बघेल और बीज निगम के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। अधिकारियों ने चिक्की का सैंपल लिया और उसे जांच के लिए भेज दिया है।
जानकारी के अनुसार, दुर्ग जिला मुख्यालय से कुछ दूर पर कोल्हियापुरी गांव स्थित है जहां के प्राथमिक शाला में गुरुवार की सुबह 9-10 बजे के बीच अचानक ही बच्चे तीसरी, चौथी और पांचवी के बच्चों का पेट दर्द होने लगा। फिर कुछ बच्चों को उल्टियां होनी भी शुरू हो गई। इससे बच्चों के अध्यापकों ने उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। फिर 26 बच्चों को उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया।
जब बच्चों के परिजनों को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने बहुत नाराजगी जताई। उनका कहना है कि शासन के तरफ से बच्चों को पौष्टिक आहार देने की बात कही जाती है, मगर यहां पैसे बचाने के लिए अधिकारी बच्चों को गुणवत्ता हीन चिक्की बांट कर उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। अब परिजनों की मांग है कि चिक्की की जांच की जानी चाहिए और जहां से चिक्की की सप्लाई की जा रही है उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
शासन की योजना
राज्य शासन स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक आहार देने की योजना चला रही है। पहले बच्चों को सोया मिल्क दिया जाता था। फिर स्वास्थ्य जांच में यह पाया गया कि बच्चों में आयरन की कमी है। शासन ने उसे दूर करने के लिए बच्चों को गुड़ और मूंगफली की चिक्की देने का फैसला किया। इसलिए अब बच्चों को स्कूलों में चिक्की दी जाती है।
पैसा बचाने के चक्कर में बना रहे गुणवत्ताहीन प्रोडक्ट
जब राज्य स्तर पर बड़े पैमाने में चिक्की की डिमांड होने लगी तो शासन ने सप्लाई की जिम्मेदारी बीज निगम को दी है। बीज निगम ने रायपुर में इसका एक प्लांट लगाया है, जहां चिक्की बनाया जा रहा है। लेकिन एजेंसी के अधिकारी पैसा कमाने के चक्कर में घटिया क्वालिटी का गुड़ और मूंगफली खरीदकर उससे चिक्की बना रहे हैं। इन चिक्कियों को खाकर बच्चे बीमार होते जा रहे हैं।
डीईओ ने कहा- होगी सख्त कार्रवाई
इस मामले में दुर्ग डीईओ प्रवास बघेल ने कहा कि शासन के नियम के अनुसार स्कूल में एक सप्ताह में दो चिक्की खिलाना होता है। चूंकि स्कूलों में बहुत चोरी होती हैं इसलिए अध्यापक कई बार बच्चों को एक महीने की चिक्की एक साथ ही दे देते हैं। उनकी इसी गलती के कारण ही यह घटना घटित हुई है। क्योंकि यह सब स्कूल स्टाफ की लापरवाही की वजह से हुआ है, इसलिए स्कूल के प्रधानाध्यापक को सस्पेंड किया जाएगा और 5 अध्यापकों का एक-एक इंक्रीमेंट रोक दिया जाएगा।
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