रायपुर। स्वर साम्राज्ञी और भारत रत्न लता मंगेशकर ने रविवार की सुबह 92 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। 17 साल पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ी गीत को भी अपनी आवाज दी थी। छत्तीसगढ़ी गीत को अपने सुरीले कंठ से आवाज देने वाली लता मंगेशकर को छत्तीसगढ़ हमेशा स्मरण रखेगा।
स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का छत्तीसगढ़ से एक गहरा जुड़ाव है। उन्होंने छत्तीसगढ़ी में भकला फिल्म के लिए ‘छूट जाही अंगना दुवारी’ गाना गाया था। यह उस दौर में काफी ज्यादा चर्चित हुआ था। आज भी छत्तीसगढ़ के लोग लता मंगेशकर की आवाज में गाया हुआ गाना शादी विवाह के दौरान विदाई में गाते हैं।
छत्तीसगढ़ की फिल्मों से भी जुड़ाव
वैसे लता जी का नाम छत्तीसगढ़ की फिल्मों से भी जुड़ाव रहा है। उन्होंने एक ऐसे यादगार छत्तीसगढ़ी गीत को आवाज दी है जो आज भी लोगों की जुबान पर बसा हुआ है। यहां के गीतकार और डायरेक्टर को लता मंगेशकर से गीत गंवाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। तब जाकर 17 साल पहले साल 2005 में उन्होंने छॉलीवुड को अपनी आवाज देकर एक नई पहचान दी थी।
बता दें कि यह छत्तीसगढ़ी गीत लता मंगेशकर की आवाज में 22 फरवरी 2005 को मुंबई के स्वरलता स्टूडियो में रिकॉर्ड किया गया था। उस दौरान लता जी ने लोगों को मिठाई खिलाने के लिए गीतकार मदन को 50 हजार रुपए दिए थे।
गाना गंवाने के लिए रखा था उपवास
छत्तीसगढ़ के मशहूर गीतकार मदन शर्मा ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि लता दीदी को गाने के लिए मनाना उनकी जिंदगी का अब तक का सबसे मुश्किल काम था। इस काम के लिए उन्होंने चार बार मुंबई के चक्कर लगाए।
गीतकार मदन ने लता जी से छत्तीसगढ़ी में गाना गंवाने के लिए उपवास भी रखा था। इसके बाद मदन ने शाम 6 बजे गाना पूरा होने के बाद अपना उपवास तोड़ा था।
उपाधि से सम्मानित
छत्तीसगढ़ में स्थित खैरागढ़ विश्वविद्यालय एकमात्र ऐसा संगीत विश्वविद्यालय है, जहां पर लता मंगेशकर की काफी यादें जुड़ी हुई हैं। 9 फरवरी 1980 को लता जी को इंदिरा गांधी कला एवं संगीत विश्वविद्यालय ने संगीत के क्षेत्र में डी-लिट की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
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