एक नाबालिग हिंदू लड़की को जबरन ईसाई बनाने के मामले में उसकी माँ द्वारा दाखिल की गई याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया है। दरअसल, माँ का आरोप है कि इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया कमीशन ऑन रिलीफ एंड प्रयास (Evangelical Fellowship of India Commission on Relief and Prayas) नामक एक ईसाई मिशनरी के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनकी बेटी को ईसाई बनने के लिए प्रेरित किया।
माँ का कहना है कि उनकी बच्ची की जानकारी के बगैर ही हिंदू से ईसाई बना दिया गया। उन्होंने कहा कि, ईसाई बनाने के बाद NGO ने 5 महीने से अधिक दिनों तक उनकी बच्ची का शोषण किया। ये सब उस समय हुआ जब बच्ची चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन में थी जिसे ग्लोबल फैमिली चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चलाता जाता है।
वकील दिब्यांशु पांडे के जरिए दाखिल एक याचिका में, पीड़िता की माँ ने आरोप लगाया कि उनकी नाबालिग बेटी को उपरोक्त NGO के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा ‘फँसा’ लिया गया था, जिन्होंने उसके द्वारा झूठी FIR दर्ज करवाई थी। इसी FIR के कारण उसे ‘पाँच’ दिन बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने पेश किया गया, जो कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) मॉडल नियम, 2016 के नियम 81 (1) का स्पष्ट उल्लंघन है।
अब माँ की नाराजगी CWC ढिलाई पर है, जिसके चलते चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन में कई NGO ने उसको प्रताड़ित किया और उसे ईसाई धर्म बनने के लिए प्रेरित किया। माँ का आरोप है कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता और उसकी बेटी को इंसाफ से वंचित किया गया है। साथ ही साथ भारतीय संविधान द्वारा प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन किया गया है।
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