Indian Railway: भारतीय रेलवे के लिए आज का दिन बेहद अहम होने वाला है। दरअसल, आज रेलवे खुद हैदराबाद के सिकंदराबाद में दो ट्रेन की आमने-सामने की टक्कर कराएगी। एक ट्रेन में खुद केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार होंगे, जबकि दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी सवार होंगे। इसके जरिए रेलवे स्वदेशी तकनीक ‘कवच’ का परीक्षण करेगा। कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए अनुमोदित किया गया है।
‘कवच’ देश की तकनीक है, जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि इसके लागू होने के बाद से दो ट्रेनों की टक्कर नहीं होगी। यह इस तरह की दुनिया की सबसे सस्ती तकनीक है। रेलवे को ‘शून्य दुर्घटना’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने के लिए एक स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली बनाई गई है।
ट्रेन को स्वचालित रूप से रोकने के लिए कवच विकसित किया गया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जब डिजिटल सिस्टम में मैनुअल एरर जैसे रेड सिग्नल या कोई अन्य खराबी नजर आती है तो ट्रेनें भी अपने आप रुक जाती हैं। उन्होंने कहा कि एक बार लागू होने के बाद इसे चलाने के लिए प्रति किलोमीटर 50 लाख रुपये खर्च होंगे, जबकि पूरी दुनिया में इस तरह की तकनीक पर करीब 2 करोड़ रुपये खर्च होते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सनतनगर-शंकरपल्ली खंड पर सिस्टम के परीक्षण में शामिल होने के लिए सिकंदराबाद में होंगे। रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, ‘रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड (सीआरबी) के अध्यक्ष 4 मार्च को होने वाले ट्रायल में हिस्सा लेंगे। हम दिखाएंगे कि सिस्टम तीन स्थितियों में कैसे काम करता है’
आपको बता दें कि इस तकनीक में जब ट्रेन किसी ऐसे सिग्नल से गुजरती है जहां से गुजरने की इजाजत नहीं होती है तो इस तकनीक के जरिए खतरे का सिग्नल भेजा जाता है। यदि लोको पायलट ट्रेन को रोकने में विफल रहता है, तो ‘कवच’ तकनीक के माध्यम से ट्रेन के ब्रेक अपने आप लग जाएंगे और ट्रेन किसी भी दुर्घटना से बच जाएगी। अधिकारी ने बताया कि यह तकनीक हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन पर काम करती है। यह SIL-4 (सिस्टम इंटीग्रेशन लेवल-4) की भी पुष्टि करता है, जो सुरक्षा प्रमाणन का उच्चतम स्तर है।
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