रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी बलिदान दिवस की याद में पब्लिक रिलेशन्स सोसाइटी आफ इंडिया रायपुर चैप्टर द्वारा “गणेश शंकर विद्यार्थी की पत्रकारिता” विषय पर शुक्रवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन में दैनिक नईदुनिया रायपुर के संपादक सतीश चन्द्र श्रीवास्तव मुख्य अतिथि के रूप में शामिल रहे।
सतीश चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी ने कम उम्र में ही बड़ी पत्रकारिता का कारनामा कर दिखाया था और वह ज्ञानवान थे आज के युवाओं में वैसा ही ज्ञान पैदा करना होगा। आज के दौर में पत्रकारिता पीआर में बदल गई है। पत्रकार का पत्रकार रहना बड़ा मुश्किल हो गया है मालिक पत्रकार रहने नहीं देते है।
उन्होंने वर्तमान में पत्रकार की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में जो भी पत्रकारिता का छात्र बनता है या फिर पत्रकारिता से जुड़ता है वह समाज में बदलाव लाने की इच्छा रखता है पर आज की पत्रकारिता उसे वैसा करने नहीं देती है। आज के पत्रकार को शुद्ध पत्रकार नहीं रहने दिया जाता। आज के दौर में जो दिखता है वही बिकता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए छत्तीसगढ़ मित्र के संपादक एवं पूर्व राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुशील त्रिवेदी ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी को विद्यार्थी इसलिए कहा जाता था क्योंकि विद्यार्थी को पढ़ना होता है। उसी तरह एक पत्रकार को भी जीवन भर पढ़ना ही होता है।
किसी भी घटना के मामले में पत्रकार को उसकी तह तक जाना होता है उसी तरह से हर जनता को अधिकार है कि उसे सही सूचना मिले। विद्यार्थी ने विदेशी ज्ञान को हिंदी में लाने और हिंदी भाषा के विकास के लिए लगातार प्रयास किये। रूढ़िवादी समाज से मुक्ति दिलाने का प्रयास भी वह लगातार करते रहे और स्वंय को अन्वेषण करना व विज्ञान ज्ञान को हिंदी में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस दौरान मुख्य वक्ता प्रख्यात लेखक, साहित्यकार एवं पत्रकार गिरीश पंकज ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी पत्रकारिता के आदर्श है जो न भूतो न भविष्यति थे। वह हमेशा हर पत्रकार के लिए प्रेरणा के स्रोत रहे। उन्होंने कभी भी अपने लेखन में समाज के साथ समझौता नहीं किया। आज के दौर में पत्रकारिता की जो नीति है वह अलग-अलग गुटों में और विचारधारों में बंटी नजर आती है उन्हें विद्यार्थी के विचारों को अपनाने की आवश्यकता है। उनकी पत्रकारिता में मिशन की पत्रकारिता थी जिसने समाज में सद्वभावना लाने का कार्य किया। उनका समग्र जीवन ही पत्रकार मिशन है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एवं समाचार संपादक अमृत संदेश रायपुर के बाबूलाल शर्मा मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि आज कहीं भी पत्रकारिता की मर्यादा नहीं दिखती। अंग्रेजी शासन के विरोध और भारतीय समाज की एकता के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपना बलिदान तक दे दिया पर वर्तमान दौर में एेसी पत्रकारिता कहीं भी देखने को नहीं मिलती। आज के दौर में उन्हें हर अखबारों के शब्दों में, पृष्ठों और समाचार में होना चाहिए और हर जगह पर उनके आदर्श होने चाहिए।
विशिष्ट अतिथि के रूप में शंकराचार्य प्रोफेशनल विश्वविद्यालय , भिलाई के कुलपति प्रोफेसर. एम.एस. निगम ने कहा कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। पत्रकारिता आज के दौर में मिशन की जगह प्रोफेशनल में बदल गई है इसलिए हमें गणेश शंकर विद्यार्थी को आत्मसात करने की जरूरत है जो जीवन भर मिशन के रूप में पत्रकारिता करते रहे।
कार्यक्रम में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर की पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की संस्थापक विभागाध्यक्ष और सुप्रसिद्ध मीडिया शिक्षाविद डॉ. गोपा बागची की पुस्तक ‘पॉलिटिकल कम्युनिकेशन’ का विमोचन भी किया गया। पुस्तक में वर्तमान परिदृश्य में राजनीतिक संचार की नई संभावनाओं और विमर्श को रेखांकित किया गया है। यह पुस्तक मीडिया शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण है जो राजनीतिक संचार के कई आयामों पर प्रकाश डालती है।
संगोष्ठी में सामाजिक संगठन प्रयास एजुकेशन सोसायटी के संस्थापक महेश कुमार नेताम को प्रशस्ति पत्र और संस्था को पीआरएसआई रायपुर चैप्टर की और से 11000 की सहयोग राशि प्रदान की गई। जनसंपर्क के क्षेत्र में 2021में उत्कृष्ट कार्यों के लिए रायपुर जनसंपर्क विभाग के संयुक्त संचालक आलोक देव और मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, एम्स, रायपुर के शिवशंकर शर्मा, केटीयू के भूतपूर्व छात्र चंद्रेश चौधरी व लोक मीडिया के संचालक तेज साहू, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अनुपमा कुमारी को प्रशस्ति पत्र और 2100 रूपये से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का सफल संचालन पीआरएसआई, रायपुर चैप्टर चेयरमैन डॉ. शाहिद अली द्वारा किया गया। अंत में पीआरएसआई, रायपुर चैप्टर के सदस्य अवधेश मिश्रा ने कार्यक्रम की सफलता के लिए आये हुए सभी अतिथि वक्ताओं तथा कार्यक्रम में उपस्थित सभी जन का आभार व्यक्त किया। आयोजन में पत्रकार, जनसंपर्क अधिकारी फोटोग्राफर एवं संचारविद, विद्यार्थी, शोधार्थी एवं मीडिया शिक्षक मौजूद रहे।
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