छत्तीसगढ़ में एक बड़ी जनसंख्या जंगलों में निवास करती है। इनकी आय का मुख्य साधन तेंदूपत्ता संग्रहण है। ऐसा क्या कारण है जिससे तेंदूपत्ता संग्रहण में परेशानियां आ रही हैं जो आदिवासी परिवारों की चिंताएं बढ़ाई हुई हैं जानिए हमारी इस खास रिपोर्ट में –
छत्तीसगढ़ में निवास करने वाले 13 लाख आदिवासी परिवारों के लिए चिंता बढ़ गई है। इसका मुख्य कारण तेंदूपत्ता संग्रहण और उसकी खरीदी में आने वाली बाधाएं है। लघु वनोपज सहकारी समिति के प्रबंधकों ने अपनी मांगों को लेकर 11 अप्रैल से धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है जिसका सीधा असर आदिवासी परिवारों पर देखने को मिल रहा है।
जानिए क्या है पूरा मामला
छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जो चारों ओर से वनों से घिरा है और यहां की एक बड़ी आबादी जंगलों में निवास करती है। ऐसे में आदिवासियों का मुख्य व्यवसाय तेंदूपत्ता संग्रहण कभी लघु वनोपज सहकारी समिति के प्रबंधकों के कारण तो कभी हाथियों के आतंक के कारण प्रभावित होता हुआ नजर आ रहा है।
हड़ताल पर उतरे प्रबंधकों का कहना है कि 2018 में जब विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में उनसे कई वादे किए गए थे। जिनमें कहा गया था की वह चुनाव जीतने पर प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति के प्रबंधकों को तृतीय वर्ग कर्मचारी का दर्जा देंगे और नियमितीकरण करने का भी वादा किया था। मगर यह सारे वादे इन 3 वर्षों में पूरे होते हुए नजर नहीं आ रहे हैं इसीलिए वे इन मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। अब उनकी मांग है कि उन्हें तृतीय वर्ग कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और बाकी के किए वादों को भी पूरा किया जाए।
कैसे बढ़ी आदिवासी परिवारों की चिंता
हर साल अप्रैल में आदिवासियों द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण का काम शुरू कर दिया जाता है और फिर इसकी खरीदी की शुरुआत होती है। जो इन आदिवासी परिवारों के लिए उनकी आय का एक महत्वपूर्ण साधन है। परंतु इस बार तेंदूपत्ता संग्रहण समिति में कार्य करने वाले सरकारी समिति प्रबंधकों द्वारा हड़ताल के कारण तेंदूपत्ता तैयार तो ह। पर उनकी खरीदी का कोई रास्ता नजर आते हुए दिखाई नहीं दे रहा है। तेंदूपत्ता संग्राहकों द्वारा हर साल 10 करोड़ का तेंदूपत्ता संग्रहण किया जाता है और बस्तर जैसे इलाकों में यह आंकड़ा 100 करोड़ तक भी चला जाता है।
हाथियों से क्या है परेशानियां
जहां एक तरफ सहकारी समिति के प्रबंधकों के हड़ताल के कारण तेंदूपत्ता संग्रहण में बाधाएं आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ हाथियों ने भी अपना कहर बरपाया हुआ है। हाथियों की मौजूदगी में तेंदूपत्ता संग्रहण काफी खतरनाक हो जाता है। तेज गर्मी के कारण ग्रामीणों को ये कार्य सुबह करना पसंद करते हैं और यही समय होता है जब हाथी सैर पर निकले होते हैं ऐसे में अगर हाथियों से मुलाकात हो जाए तो काफी मुश्किल खड़ी हो सकती है। तेंदूपत्ता संग्रहण में कुछ ही समय बाकी है ऐसे में ग्रामीणों के लिए यह काम समय पर खत्म करना काफी आवश्यक हो जाता है। पर इन हाथियों की मौजूदगी ने इसे और भी मुश्किल बना दिया है।
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