MADVI MARKO:
दंतेवाडा। दंतेवाड़ा के गमपुर गांव में एक ऐसी मां भी है जिसने आज तक अपने बेटे का अंतिम संस्कार इसलिए नहीं किया क्योंकि वह चाहती है कि उसके बेटे के माथे से नक्सली होने का दाग मिट सके…
दुनिया में मां के प्यार से बढ़कर और कुछ नहीं है और अगर वही मां अपने बच्चे के लिए कुछ ठान ले तो उसे कोई रोक नहीं सकता है। ऐसे ही कुछ दंतेवाड़ा की एक की मां की कहानी है जिसने अपने बेटे की बेगुनाही साबित करने के लिए आज तक उसके शव को संभाल कर रखा है।
दरअसल, यह दंतेवाड़ा के किरंदूल का मामला है जहां एक महिला माड़वी मारको(MADVI MARKO) रहती है जिनके बेटे बदरू को मार्च 2020 को नक्सली कैडर का सदस्य समझकर गोली मार दी गई थी। यह परिवार किरंदुल की पहाड़ियों के पीछे 20 किलोमीटर घने जंगल में गमपुर नाम के गांव में रहता है। मारको की मां का कहना है कि एक दोपहर बदरू में महुआ बिनने गए थे और वही उसे नक्सली समझकर गोली मार दी गई थी।
मारको(MADVI MARKO) का कहना है कि उसके बेटे का जुड़ाव किसी नक्सली संगठन से नहीं था। वह यह साबित करना चाहती है कि बदरू निर्दोष हैं। इसलिए उन्होंने आज तक उसके शव का अंतिम संस्कार नहीं किया है। बल्कि 6 फिट का गड्ढा खोदकर उसे दफनाया गया है। उनका मानना है कि यदि कल को कोर्ट से पुनः पोस्टमार्टम या फिर फॉरेंसिक जांच के आदेश हुए इस मामले की फिर से जांच हो सकती है।
उनका कहना है कि गांव में किसी पर भी नक्सली होने का इल्जाम लगा दिया जाता है। वह कहती हैं जब तक बेटा निर्दोष साबित नहीं हो जाता सब का अंतिम संस्कार नहीं होगा अब पूरे परिवार को बस बदरू के निर्दोष साबित होने का इंतजार है।
पहचान पत्र ना होने पर समझा जाता है नक्सली
गमपुर के ही एक युवक अर्जुन का कहना है कि गांव में किसी के पास भी ना ही आधार कार्ड है और ना ही वोटर कार्ड जैसे पहचान पत्र। ऐसे में कई बार ग्रामीणों को जंगलों से पकड़ लिया जाता है और पहचान पूछी जाती है। और कोई दस्तावेज ना होने पर नक्सली होने का आरोप लगाकर पिटाई कर दी जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने बीजापुर सीईओ से आधार कार्ड बनवाने की शिविर के लिए बात की थी पर आज तक इस पर कोई पहल नहीं हुई है।
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