BJP training class program:
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भाजपा के प्रशिक्षण वर्ग कार्यक्रम(BJP training class program) का आयोजन किया गया। इस बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि भारत में महंगाई दुनिया के बाकी देशों से काफी कम और नियंत्रित है। त्रिवेदी ने ये माना कि महंगाई बढ़ी है मगर साथ ही साथ ये भी कहा कि इसे कंट्रोल करने में सरकार सफल है। जानकारी के लिए आपको ये बता दें कि सुधांशु रायपुर में आयोजित भाजपा के प्रशिक्षण वर्ग कार्यक्रम(BJP training class program) में बतौर वक्ता पहुंचे हैं।
इस कार्यक्रम के दौरान मीडिया ने जब महंगाई से आम जनता की परेशानी से जुड़ा सवाल उठाया तो सुधांशु त्रिवेदी ने जवाब देते हुए कहा – देश ही नहीं बल्कि महंगाई की मार पूरी दुनिया झेल रही है। सिर्फ श्रीलंका और पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि चायना के ह्यूनान में मो बैंकों का पेमेंट बंद कर दिया गया है। वहां टैंक लगाए गए हैं, ब्रिटेन और यूरोप में 40 साल की सबसे बड़ी महंगाई आई है। अमेरिका में 45 साल में सबसे बड़ा इंफेलेशन हुआ है, भारत की महंगाई की दर 8.5 प्रतिशत है। दुनिया के सबसे बड़े देशों में ये दर सबसे कम है। युक्रेन युद्ध और करोना महामारी की वजह से असर पड़ा है।
सुधांशु त्रिवेदी ने पिछली यूपीए सरकार के कार्यकाल को याद दिलाते हुए कहा कि आज एलपीजी सिलेंडर के दाम 11 सौ कुछ रुपए कुछ हैं, जनवरी 2014 में ये यही सिलेंडर 1241 रुपए का मिल रहा था। हमने इतनी खराब स्थितियों के बाद भी महंगाई को उस स्तर तक जाने नहीं दिया है । 2009 में भारत की महंगाई दर 12 और साढ़े 10 प्रतिशत रही। यानी की दोहरे डिजिट में, मगर आज हमने इसे डबल डिजिट में जाने नहीं दिया है। हम महंगाई है मान रहे हैं, लेकिन विश्व की तुलना में देखे तो कुशल नेतृत्व के कारण उसका बेहतर प्रबंधन करने में केंद्र सरकार सफल हैं।
ब्लूमबर्ग के एक सर्वे के अनुसार, भारत में मंदी की आशंका अभी बिल्कुल भी नहीं है। क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट के अनुसार अमेरिका की मंदी का असर भारत की मंदी तीव्रता पर देखने को मिल सकता है, मंदी से भारत का निर्यात घट सकता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को व्यापार करने के लिए डॉलर की आवश्यकता होती है। कुछ देशों को छोड़ दिया जाए तो विश्व के करीब सभी देश भारत से डॉलर में ही सामान का आयात-निर्यात करते हैं। ऐसे में भारत के इंपोर्ट के खर्च और बढ़ने की संभावना है। डॉलर के चढ़ने के कारण रुपये के और नीचे जाने का डर बना हुआ है जो पहले ही 80 प्रति डॉलर के स्तर को छू चुका है।
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