दिल्ली। 2019 में चीन में कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी। इसकी शुरुआत तो चीन से हुई किन्तु आहिस्ता-आहिस्ता इस वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया।
वर्ष 2020 आते-आते भारत में स्थिति बिगड़ते देख लॉकडॉउन लगाना पड़ा।
तत्पश्चात, वैक्सीन बनाने की कवायदें आरम्भ हुईं तथा कई देशों ने इस बीमारी का टीका खोज निकाला। हालांकि 2021 आते-आते भारत में भी वैक्सीन लोगों को लगाई जाने लगी। हालांकि इसके साथ ही दिल के दौरे के मामलों में भी अचानक बढ़ोतरी देखी गई। अप्रैल 2021 में जब भारत में कोरोना ने खतरनाक रूप लिया तब तक आम लोगों को वैक्सीन लगाना आरम्भ किया जा चुका था।
इसी दौर में देशभर में कई व्यक्तियों की मौतें हुईं। कुछ की जान कोरोना वायरस के कारण गई तो कुछ लोगों की मौत दिल का दौरा और अन्य बीमारियों के कारण हुई। इसके बाद सवाल उठने लगे कि कोरोना वायरस को रोकने की जो वैक्सीन बनाई गई है उसके कारण लोगों में दिल का दौरे का खतरा बढ़ा है।
वही इन आरोपों पर आईसीएमआर एक स्टडी कर रहा है। इस अध्ययन की शुरुआती रिपोर्ट जुलाई 2023 में प्रकाशित होगी। अपने इस स्टडी में आईसीएमआर भारत में युवा आबादी में कोविड-19 टीकाकरण एवं बढ़ते दिल के दौरे के बीच की कड़ी को समझने का प्रयास कर रहा है। इस शोध की शुरुआती रिपोर्ट बीते कुछ वक़्त से पेंडिंग है।
इसे प्रकाशित करने से पहले आईसीएमआर अब तक सामने आए निष्कर्षों की समीक्षा कर रहा है।
आईसीएमआर इस रिपोर्ट को लेकर बहुत गहन अध्ययन कर रहा है। तो ऐसे में प्रयास है कि इसके आंकड़े तभी सार्वजनिक किए जाएं जब वो पूरी तरह से पुष्ट हों।
1. क्या लोगों की मौत टीकाकरण के पश्चात् नेचुरल कारणों से हुई है?
2. क्या कोविड को रोकने के लिए बनाया गया टीका मौत के लिए जिम्मेदार था?
3. क्या जान गंवाने वाला मरीज कोविड के गंभीर स्टेज पर था या लंबे वक़्त से उससे पीड़ित तो नहीं था?
इस स्टडी के लिए सैंपल साइज के रूप में आईसीएमआर ने 40 चिकित्सालयों से क्लीनिकल रजिस्ट्रेशन की जानकारी ली है। इनमें से कई मरीजों का डाटा एम्स से भी लिया गया है। जानकारी के अनुसार, 14,000 व्यक्तियों के सैंपल साइज से 600 मौतों की खबर प्राप्त हुई थी।