CG Collectors Conference 2025: लघु वनोपजों से आत्मनिर्भरता की राह – मुख्यमंत्री साय ने तय किया हरित विकास का रोडमैप

रायपुर: राज्य के वन संसाधनों के बेहतर उपयोग, वन आश्रितों की आजीविका सुदृढ़ करने और हरित अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य से सोमवार को मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित कलेक्टर–डीएफओ संयुक्त कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ के हरित विकास का नया रोडमैप प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहक हितग्राहियों की संख्या आज 12 लाख से अधिक हो चुकी है – यह छत्तीसगढ़ की सामूहिक प्रतिबद्धता और सतत प्रयासों का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि अब समय है कि वन उपजों का अधिकतम मूल्य संवर्द्धन (Value Addition) कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी जाए। मुख्यमंत्री ने राज्य में वन धन केंद्रों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता जताई, ताकि ग्रामीणों को अतिरिक्त आय के अवसर मिलें और वे आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ सकें।
46 प्रतिशत तक पहुँचा वन आवरण – कैम्पा और “एक पेड़ मां के नाम” पहल का योगदान
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में अब 46 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है, जो लगभग दो प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह सफलता कैम्पा योजना और एक पेड़ मां के नाम जैसी अभिनव पहलों के कारण संभव हुई है।
बैठक में सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए गए कि तेंदूपत्ता संग्राहकों को भुगतान सात से पंद्रह दिनों के भीतर सुनिश्चित किया जाए, तथा पारदर्शिता बनाए रखने के लिए भुगतान की जानकारी एसएमएस के माध्यम से सीधे हितग्राहियों के मोबाइल पर भेजी जाए।
अब तक लगभग 15 लाख 60 हजार संग्राहकों की जानकारी ऑनलाइन दर्ज की जा चुकी है, और सभी भुगतान सीधे बैंक खातों के माध्यम से किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने तेंदूपत्ता संग्रहण प्रक्रिया के पूर्ण कंप्यूटरीकरण को और गति देने के निर्देश दिए।
औषधीय पौधों की खेती और प्रचार-प्रसार पर जोर
बैठक में औषधीय पौधों की खेती के विस्तार के लिए प्रचार-प्रसार गतिविधियाँ बढ़ाने पर बल दिया गया। मुख्यमंत्री ने कृषि और उद्यानिकी विभागों के मैदानी अमले को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिए।
धमतरी, मुंगेली और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिलों में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने की योजना तैयार की जा रही है। बैठक में बताया गया कि यह न केवल ग्रामीणों की आय बढ़ाएगी, बल्कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के संरक्षण में भी सहायक सिद्ध होगी।
लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप्स को मिलेगा प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री ने कहा कि लघु वनोपजों को वनांचल क्षेत्रों में आजीविका के प्रमुख साधन के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। बैठक में लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने और वन धन केंद्रों को और सशक्त करने पर सहमति बनी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ हर्बल और संजीवनी ब्रांड के उत्पादों की बिक्री ग्रामीण और शहरी दोनों बाजारों में बढ़ाई जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि उत्पादों के जैविक प्रमाणीकरण (Organic Certification) की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए, ताकि इन उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके।
ईको-टूरिज्म को मिलेगी नई दिशा
वन मंत्री केदार कश्यप ने बैठक में कहा कि यदि सभी कलेक्टर और वन अधिकारी समन्वयपूर्वक कार्य करें तो वन प्रबंधन के अत्यंत अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि बस्तर और सरगुजा संभागों में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस रणनीति पर काम चल रहा है।
राज्य सरकार अब 75 प्रकार की लघु वनोपजों की खरीदी करने जा रही है, जिससे वन आश्रित परिवारों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि लाख उत्पादन में छत्तीसगढ़ वर्तमान में देश में दूसरे स्थान पर है, और सुनियोजित रणनीति से यह राज्य *पहले स्थान* पर पहुँच सकता है।
वन आधारित आजीविका के लिए एकीकृत दृष्टिकोण
बैठक में बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जिलों के पिछले सीजन के तेंदूपत्ता संग्रहण की समीक्षा की गई और आगामी सीजन के लिए पूर्व कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए। उद्देश्य यह रहा कि संग्राहकों को समय पर भुगतान मिले और संग्रहण प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन आधारित आजीविका को लेकर एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है – जहाँ वन प्रबंधन, उद्योग, पर्यटन, औषधीय पौधों की खेती और स्टार्टअप्स सभी एक दूसरे के पूरक बनें।
हरित विकास और आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ का लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ हरित विकास और आत्मनिर्भरता के मॉडल के रूप में देश के सामने उभरेगा। इसके लिए राज्य सरकार वन संपदा का सतत उपयोग, ग्रामीणों की आय में वृद्धि और पारंपरिक ज्ञान के संवर्धन पर विशेष ध्यान दे रही है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि वे वनांचल क्षेत्रों में जाकर प्रत्यक्ष रूप से योजनाओं की प्रगति का निरीक्षण करें और स्थानीय समुदायों से संवाद स्थापित करें। उन्होंने कहा – “जब वनवासी समृद्ध होंगे, तभी छत्तीसगढ़ सशक्त होगा। हमारा लक्ष्य केवल वृक्षारोपण नहीं, बल्कि हरित अर्थव्यवस्था का निर्माण है।
कॉन्फ्रेंस में सभी संभागायुक्त, जिला कलेक्टर और वन मंडलाधिकारी उपस्थित थे। बैठक के अंत में यह संकल्प लिया गया कि छत्तीसगढ़ आने वाले वर्षों में लघु वनोपज आधारित आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का आदर्श उदाहरण बनेगा।