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हो जाएं सावधान! कोरोना से ठीक होने वालों में अब इस गंभीर बीमारी का खतरा, इन लक्षणों पर दें ध्यान

आज कोरोना एक गंभीर, भयानक और जानलेवा बीमारी बनकर उभरा है। भले ही आप संक्रमित हों या फिर संक्रमण से ठीक हो चुके हों, यह सभी लोगों के लिए खतरनाक माना जा रहा है। यहां तक कि लोगों में कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई प्रकार की समस्याएं देखने को मिल रही हैं। हाल ही में, एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है कि अब कोरोना से ठीक होने वाले लोगों में भी टीबी जैसी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बहुत बढ़ गया है।
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कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के. सुधाकर ने बताया कि अब तक राज्य में 24-25 ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें लोगों को पहले कोरोना हुआ था और फिर बाद में, रिकवरी के पश्चात वे सब टीबी का शिकार हो गए। आगे उन्होंने बताया कि सावधानी के रूप में सरकार ने पूरे राज्य में कोरोना से ठीक हुए मरीजों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी है। ऐसा इसलिए ताकि मरीजों में टीबी का पता जल्दी लगाया जा सके और उसके बाद जल्द से जल्द उनका इलाज किया जा सके, क्योंकि इलाज में जितनी देर होगी, बीमारी उतनी ही गंभीर हो सकती है।
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विशेषज्ञों का मानना: कोविड -19 और टीबी काफी हद तक एक समान
विशेषज्ञ बताते हैं कि कोविड-19 और टीबी, दोनों बहुत हद तक एक जैसी ही बीमारियां हैं। वो ऐसे कि दोनों ही सांस से जुड़ी बीमारियां हैं, जो फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं। सबसे खतरनाक बात तो यह है कि दोनों ही बीमारियां बहुत संक्रामक हैं। इस वजह से हमें सतर्क रहने की बहुत जरूरत है।
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लक्षणों को नजरअंदाज करना जानलेवा
विशेषज्ञ बताते हैं कि लॉन्ग कोविड और टीबी के लक्षण बहुत हद तक एक जैसे ही होते हैं, इसलिए लक्षणों को हमे बिल्कुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिये, ये जानलेवा हो सकते हैं। असल में, कई लोगोँ में कोरोना से ठीक होने के बाद सांस लेने में दिक्कत और खांसी की समस्या बनी रहती है, टीबी में भी ऐसे ही लक्षण दिखाई देते हैं। अगर कोरोना से ठीक होने के बाद आपको भी ऐसी समस्याएं आ रही हैं, तो कृपया डॉक्टर की सलाह पर टीबी का भी टेस्ट जरूर कराएं।
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क्या हो सकता है टीबी का कारण?
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल, कमजोर इम्यूनिटी और फेफड़ों में संक्रमण का बढ़ना, टीबी के होने का कारण हो सकता है। टीबी एक संक्रामक रोग है और यह उस व्यक्ति को खासकर जल्दी अपनी चपेट में ले लेता है, जिसकी इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती हैं।
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डायबिटीज के मरीजों को भी सतर्क रहने की जरूरत
बता दें कि डायबिटीज से पीड़ित मरीजों की रोग प्रतिरोक्षक क्षमता पहले से ही कमजोर होती है, ऐसे में अगर उसे कोरोना हुआ हो तो जाहिर सी बात है कि इम्यूनिटी और भी कमजोर हो जाएगी। ऐसे में टीबी की बीमारी भी उसे जल्दी और बड़ी आसानी से हो सकती है। इस वजह से डायबिटीज के मरीजों को कोरोना से बेहद ही सतर्क रहने और शुगर लेवल को हमेशा नियंत्रण में रखने की सलाह दी जा रही है।
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कोरोना से ठीक होने के बाद इन लक्षणों पर दें ध्यान 
कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों में कमजोरी, थकान, घबराहट, अवसाद, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, स्वाद और गंध अनुभव न होना, बाल झड़ना और नींद संबंधी परेशानियां तो आम हैं, लेकिन सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, हार्ट रेट बढ़ जाना और हार्ट की नसों में क्लॉट (थक्के) बन जाना, गंभीर समस्याएं होती हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि ये जानलेवा साबित हो सकती हैं।

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