छत्तीसगढ़

जहां चाह, वहां राह: हाथ नहीं करते काम, पैरों से लिखकर की पढ़ाई, पाई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी, पढ़िए भारती के जज्बे की कहानी…

रायगढ़। पुसौर के तिलगी गांव की भारती को देखने के बाद लोग वाह कहे बिना नहीं रहते। इसका कारण है कि दोनों हाथ बचपन से काम नहीं करने के बाद भी भारती ने हिम्मत नहीं हारी।
उसने अपनी शारीरिक कमजोरी को ही अपना हथियार बना लिया और पैरों से लिखना शुरू कर दिया। हाल में उसने महिला बाल विभाग के लिए आयोजित व्यापम की परीक्षा में हिस्सा लेकर ऐलान कर दिया कि वह किसी से कम नहीं।
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जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर तिलगी गांव की भारती के दोनों हाथ बचपन से काम नहीं करते। जब वह स्कूल जाने लायक हुई उसने पैर से ही लिखने का अभ्यास शुरू किया।
शुरुआत में उसे दिक्कत हुई, लेकिन कुछ दिनों के परिश्रम से इसमें महारत हासिल कर ली और हायर सेकेण्डरी की पढ़ाई भी पूरी कर ली। इसी बीच गांव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का पद रिक्त होने पर उसके लिए आवेदन किया। उक्त पद के लिए योग्य पाए जाने पर उसका चयन भी हुआ। मौजूदा समय में वह वहां ड्यूटी कर रही है।
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जहां चाह, वहां राह
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी पाने के बाद उसके हौसले और बुलंद हुए। वह अभी और आगे बढऩे की चाह रखती है। इसके लिए बीते दिनों महिला एवं बाल विकास विभाग में हॉस्टल अधीक्षक के लिए व्यापम ने परीक्षा हुई तो इस परीक्षा में भी वह शामिल हुई। परीक्षा के प्रश्न पत्र उसने पैरों से हल किया।

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