CM Baghel Koriya Visit:
कोरिया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर हैं। इस दौरान ग्राम पोड़ी में सीएम बघेल ने आज 7 बड़ी घोषणाएं की है।
ये हैं बड़ी घोषणाएं:
– बचरा पोड़ी में खुलेगा नवीन महाविद्यालय।
– पोड़ी में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल की घोषणा।
– सकरिया में नवीन विद्युत सब स्टेशन के स्थापना की घोषणा।
– पोड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उन्नयन।
– पोड़ी में सहकारी बैंक की शाखा खोलने की घोषणा।
– पोड़ी पुलिस सहायता केंद्र का पुलिस चौकी में उन्नयन।
– मनसुख के पास घनुहर नाले पर नए पुल के निर्माण की घोषणा।
खड़गंवा ब्लाक के चिरमी गांव के रहने वाले दुर्गेश को आज मुख्यमंत्री के हाथों 6.25 एकड़ रकबा का वन अधिकार प्रमाण पत्र मिला। दुर्गेश इस बात से बहुत खुश है कि ये प्रमाण पत्र खुद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों उसे मिला है। अब वन अधिकार पट्टा मिलने से दुर्गेश न केवल अपना धान बेच पाएंगे बल्कि शासन की अन्य योजनाओं का लाभ भी ले सकेंगे।
खड़गंवा ब्लाक के ही जिलीबांध गांव के रहने वाले छोटेलाल को आज मुख्यमंत्री के हाथोम 5 एकड़ रकबे का वन अधिकार प्रमाण पत्र मिला है। छोटेलाल ने कहा कि वो न तो धान के समर्थन मूल्य के बारे में जानते थे नही राजीव गांधी किसान न्याय योजना के बारे में, क्यूंकि वन अधिकार पट्टा नहीं होने से वो धान बेच ही नहीं पाते थे मगर अब वो समर्थन मूल्य पर धान बेच सकेंगे और बोनस भी ले सकेंगे।
भेंट मुलाकात अभियान के तहत सीएम बघेल आज बैकुंठपुर दौरे पर हैं। आज पोड़ी ग्राम के भेंट मुलाकात स्थल में 174 और पटना ग्राम में 161 वन अधिकार प्रमाण पत्र के वितरण के साथ ही मुख्यमंत्री ने तीन दिनों के भीतर कोरिया जिले में 1848 वन अधिकार प्रमाण पत्र हितग्राहियों को प्रदान किया है। इस तरह से कोरिया जिले में अभी तक व्यक्तिगत वन अधिकार दावे के तहत 15 हजार 81 हेक्टेयर रकबे के 17282 वन अधिकार पट्टे वितरित किए जा चुके हैं। सामुदायिक वन अधिकार दावे के कुल 1 हजार 514 पट्टे जिनका रकबा 18 हजार 5 हेक्टेयर और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दावे के कुल 165 पट्टे जिनका रकबा 9 हेक्टेयर 138 हेक्टेयर है, वितरित किए गए हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ शासन के महत्वाकांक्षी योजना वनाधिकार पट्टा से वन क्षेत्रों में वन भूमि में काबिज लोगों के लिए राज्य सरकार के संवेदनशील निर्णयों के कारण भूमि पुत्रों को जंगल-जमीन का मालिकाना हक मिल रहा है और वन भूमि के स्वामित्व को लेकर उनकी भी चिंता दूर हो गई है।
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