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जन्मदिन विशेष – जानिए स्वर्गीय नंद कुमार पटेल का एक गाँव के सरपंच से लेकर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के सबसे कद्दावर नेता बनने तक का सफर…

रायपुर 8 नवंबर theguptchar.com। झीरम घाटी में 25 मई 2013 में हुए नक्सली हमले में शहीद हुए नंद कुमार पटेल की आज जयंती है। 8 नवंबर, 1953 को जन्म लेने वाले नंद कुमार पटेल ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1979 में सरपंच के रूप में की थी। वे प्रखंड विकास समिति रायगढ़ के सदस्य चुने गए थे।
जिसके बाद पहली बार 5 मार्च, 1990 को पटेल विधायक चुने गए। इसके बाद 1990, 1993, 1998, 2003 और 2008 में वे विधायक बने और 1998 में मंत्री बने। नंदकुमार पटेल मध्य प्रदेश विधान सभा की पुस्तकालय समिति के अप्रैल 1994 में अध्यक्ष बने। जनवरी, 1996 को पहली बार वे राज्यमंत्री बनाए गए थे। उन्होंने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के लिए राज्यमंत्री के रूप में भी काम किया।
मार्च 1998 से दिसंबर 1998 तक उन्होंने मध्य प्रदेश में गृह राज्यमंत्री के रूप में काम किया। दिसंबर 1998 से अक्टूबर 2000 तक दिग्विजय सिंह के साथ मध्य प्रदेश में गृह और विमानन विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे। 12 नंबवर, 2000 को छत्तीसगढ़ में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। इसके बाद 2003 तक गृह, जेल, परिवहन कैबिनेट मंत्री रहे। 2009 से 2011 तक छत्तीसगढ़ लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रहे। अप्रैल, 2011 में उन्हें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
नंद कुमार की पत्नी का नाम नीला पटेल है। उनके दो बेटे दिनेश पटेल और उमेश पटेल और बेटियां सरोजनी पटेल और शशिकला पटेल है। जिनमें से बेटे दिनेश पटेल अपने पिता के साथ ही हमले में शहीद हो गए थे।
प्रदेश में भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल अपनी पूरी टीम के साथ परिवर्तन यात्रा पर निकले थे और छह महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होना था। परिवर्तन यात्रा में सभा को समाप्त करके कांग्रेस नेताओं का काफिला 25 मई की शाम को सुकमा के रेस्ट हाउस पहुंचा। जिसके बाद काफिला जगदलपुर के लिए आगे रवाना हो गया। जिसके बाद पहले से घात लगा कर बैठे नक्सलियों ने दरभा इलाके में झीरम घाटी में काफिले पर हमला कर दिया।
नक्सलियों ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश पटेल को अगवा कर लिया। जिसके बाद दोनों का शव जंगल में बरामद किया गया था। इस हमले में नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी।

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