गुप्तचर विशेषबिग ब्रेकिंगसियासत

क्या दीपक को मिल सकती है कमान? मोहन को लेकर उलझा पेंच!

दिल्ली में नेताओं की भेंटमुलाकात का दौर, दीपक की ताजपोशी की चर्चा

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में फेरबदल की अटकलों के बीच मोहन मरकाम ने दिल्ली में मीडिया से कहा है कि चार सालों तक पार्टी ने उन्हें अध्यक्ष में रूप में बड़ी ज़िम्मेदारी दी है। आलाकमान आगे भी जो ज़िम्मेदारी देगा, निष्ठापूर्वक काम करूंगा। फ़िलहाल बदलाव को लेकर कोई जानकारी नहीं है। प्रदेश प्रभारी नहीं चाहती कि फ़िलहाल कोई बदलाव हो। कुछ मंत्री भी बदलाव नहीं चाहते।
मोहन मरकाम की सधी हुई टिप्पणी ने राजनीतिक गलियारों में मुश्किलें बढ़ा दी है। वास्तव में उनका बयान जब आया, जब प्रदेश कांग्रेसाध्यक्ष पद के लिए उनकी जगह पर सरगुजा के आदिवासी नेता एवं केबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने मंत्री पद छोड़कर पार्टी की प्रदेश कमान सम्हालने से इनकार कर दिया। वास्तव में सत्ता के गलियारों में खबर थी कि एक आदिवासी नेता से दूसरे आदिवासी नेता को बदल दिया जाएगा और उनका मंत्रित्व दूसरे को सौंप दिया जाएगा। पर अमरजीत भगत के मुकरते ही स्थितियां बदल गईं। अमरजीत भगत मंत्री का पद मुख्यमंत्री के इशारों पर छोड़ना नहीं चाहते और मोहन मरकाम को यदि सत्ता में स्थान नहीं दिया जाएगा तो वो बागी हो सकते हैं। वैसे भी बस्तर में विपक्ष जहां आदिवासियों के धर्मांतरण और आदिवासी आरक्षण को लेकर हमलावर है, दूसरी तरफ सर्व आदिवासी समाज ने भी आरक्षण के मामले पर भानुप्रतापपुर उपचुनाव में अपना प्रत्याशी उतार कर कांग्रेस को अपनी ताकत दिखा चुका है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम भी कांग्रेस की किरकिरी बने हुए हैं। वे आदिवासी आंदोलन को खुलेआम हवा दे रहे हैं अगर ऐसे में कोई युवा बड़ा चेहरा भी उनसे जा मिलता है तो कांग्रेस बस्तर क्षेत्र में पिछड़ सकती है।
अगर हम मरकाम के बयान पर गौर करें तो वे इस बदलाव के बदले मंत्री पद से नीचे कुछ नहीं चाहेंगे। पूरे कांग्रेस में पिछले चार सालों में उन्होंने अच्छी पारी खेली है और उनके समर्थकों का भी एक वर्ग बन चुका है। ऐसे में उन्हें नजरअंदाज करना कांग्रेस के लिए मुश्किल का सबब बन गया है।
अगर सांसद दीपक बैज की बात करें तो वे भी बस्तर से आते हैं और युवा हैं। इसके अलावा वे सत्ता के गलियारों में लगातार बड़े नेताओं से मिल भी रहे हैं। इसीलिए मीडिया में उनकी ताजपोशी की खबरें आईं है लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल में मात्र 13 मंत्री होते हैं ऐसे में मुख्यमंत्री बघेल और कांग्रेस आलाकमान के लिए एक संतुलित प्रतिनिधित्व तलाशने के लिए माथापच्ची चल रही है। सारा राजनीतिक कुहासा दो दिनों के बाद छंटने की उम्मीद की जा रही है। फिलहाल इंतजार करना पड़ेगा।

Related Articles

Back to top button