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केंद्र सरकार ने जारी किया न्यायिक प्रक्रिया की लाइव स्ट्रीमिंग ड्राफ्ट, अब घर बैठे देखी जा सकेगी अदालत की कार्यवाही

नई दिल्ली| केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के न्यायिक प्रक्रिया की लाइव स्ट्रीमिंग के ड्राफ्ट को जारी कर दिया है, अब ये पब्लिक डोमेन में है| लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान कैमरों का मुख्य फोकस जजों, वकीलों, पीड़ित और आरोपी और गवाहों पर होगा|

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बता दें की अब आम जन भी कोर्ट रूम की इस कार्यवाही को अपने घरों से देख पाएंगे| ड्राफ्ट के मुताबिक कोर्ट रूम में पांच एंगल पर कैमरे लगाए जाएंगे| एक कैमरा जज की तरफ वहीं, दो कैमरे आरोपी और पीड़ित पक्ष के वकीलों की तरफ, एक आरोपी और एक गवाह की तरफ होगा|

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जारी ड्राफ्ट के मुताबिक कोर्ट के अलावा कोई भी इस कार्यवाही की लाइवस्ट्रीम नहीं कर सकेगा, यहां तक कि इसकी रिकॉर्डिंग के प्रचार-प्रसार पर भी रोक होगी| ड्राफ्ट के मुताबिक अदालती कानून, कॉपीराइट और आईटी कानूनों की अवमानना ​​​​के तहत दंडनीय होगा|

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एक अधिकृत ईकाई के अलावा कोई भी व्यक्ति/ईकाई (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग का डाटा शेयर और प्रसारित नहीं करेगा| यही प्रावधान मैसेजिंग एप्लीकेशन पर भी लागू होंगे|

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इन प्रावधान के विपरीत काम करने वाली संस्था या व्यक्ति के खिलाफ कानून कार्यवाही की जाएगी| कोर्ट के पास आर्काइव सुनवाई और रिकॉर्डिंग के डाटा का कॉपीराइट होगा|
ऐसे हुई शुरुआत
आपको बता दें 26 सितंबर, 2018 को तीन-न्यायाधीशों वाली एससी बेंच ने अदालती कार्यवाही के लाइव प्रसारण के लिए सहमति व्यक्त की थी और इसकी शुरुआत के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए थे|

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10 मिनट के अंतर से होगी लाइव स्ट्रीमिंग
ई-समिति ने प्रत्येक जिला अदालत परिसर से 10 मिनट के अंतराल के साथ लाइव-स्ट्रीमिंग के लिए विस्तृत प्रक्रिया निर्धारित की हैं जिससे न्यायाधीशों को जनता तक पहुंचने से पहले अप्रिय घटनाओं को घटाने का कंट्रोल दिया जा सके|

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उन मामलों की की एक बड़ी लिस्ट है, जिनकी लाइव स्ट्रीमिंग नहीं होगी, इनमें वैवाहिक मामले, महिलाओं के खिलाफ लैंगिक हिंसा के मामलों सहित यौन अपराध से जुड़े मामले, पॉक्सो अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम के मामले शामिल हैं|

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