रायपुर. गांवों और कस्बों को शहरों के लिए पक्की सड़कों से जोडऩे के सरकार के कदम को अहम माना जा सकता है। हालांकि अधोसंरचना के क्षेत्र में अभी भी कई कार्य होना बाकी है। राजधानी सहित कई शहरी क्षेत्रों में सड़कों का चौड़ीकरण-फ्लाईओवर जरूरतों में शामिल हो चुकी है। पिछले तीन वर्षों में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों और पुल-पुलिया निर्माण पर कई कार्य हुए।
इसके लिए मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना के तहत स्वास्थ्य केंद्रों, स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों को जोडऩे के प्लान पर अमल हुआ। रोड़ कार्पोरेशन के अनुसार 504 निर्माण कार्यों के लिए 5543 करोड़ की स्वीकृति गई है। वहीं कई जिलों में दो दर्जन से अधिक पुल-पुलिया बनने जा रही है। दूसरी तस्वीर ऐसी भी है कि राजधानी में करोड़ों रुपए के कई निर्माण दो-तीन सालों से चल रहे हैं। इसमें नवा रायपुर में राजभवन, सीएम हाउस, मंत्रियों और अफसरों के बंगले शामिल हैं।
नई विधानसभा निर्माण की नींव भी रखी गई
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नवा रायपुर में 350 करोड़ की लागत से नई विधानसभा और सेरीखेड़ी में विधायक विश्रामगृह निर्माण कराने के लिए भूमिपूजन किया है। इसके अलावा हज हाउस निर्माण के लिए भी 16 करोड़ की स्वीकृति दी गई है। परंतु अभी टेंडर प्रक्रिया फाइनल नहीं हुई है।
5225 करोड़ का बजट, कोरोना से प्रभावित हुए निमा्रण कार्य
कोरोना महामारी में कई निर्माण कार्य प्रभावित हुए हैं। यही वजह रही कि पुराने कार्यों को पूरा कराने पर ही अधिक जोर दिया जा रहा है। नए निर्माण कार्यों की स्वीकृति पर रोक जैसी स्थितियों का भी सामना करना पड़ा है। इस साल 2021 के लिए 5225 करोड़ निर्माण कार्यों के लिए बजट बजट स्वीकृति का अधिकार सीजीआरआईडीसी को दिया गया। जिसमें रायपुर, बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा संभागों में इंफ्रास्ट्रक्चर की नींव रखी गई। जिलों की सड़कों, पुल एवं बिल्डिंग के लिए करीब 504 निर्माण कार्य कराने के लिए 5543 करोड़़ की स्वीकृति इस साल दी गई है।
70 करोड़ के स्काईवॉक पर तीन साल से फैसला नहीं
राजधानी के शास्त्री चौक और जयस्तंभ चौक जैसी मुख्य सड़क पर 70 करोड़ के स्काईवॉक पर तीन साल पहले रोक लगी। उस पर आज तक यह फैसला नहीं हो सकता कि स्काईवॉक का अधूरा निर्माण पूरा हो गया या फिर ऐसा ही बीच सड़क पर आधा-अधूरा ही नजर आएगा। हैरानी की बात ये कि 70 करोड़ के निर्माण की राजधानी के लोगों को कोई सुविधा नहीं मिल पाई।
ये बेहतर हुआ
1. 3484 करोड़ की एडीबी प्रोजेक्ट की सड़कें बन रहीं
2. पीडब्ल्यूडी के सड़क, पुल-पुलिया और सरकारी भवनों के निर्माण के अलावा एशियन डेवलपमेंट बैंक फेस-3 (एडीबी) के कर्ज पर भी मुख्यालयों से जिलों और ब्लाकों को जोडऩे वाली सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है।
3. एडीबी प्रोजेक्ट के तहत 25 सड़कें करीब 900 किमी लंबी सुदूर अंचल के लोगों को अगले दो साल में मिलने का दावा किया जा रहा है।
4. अफसरों के अनुसार साल 2022-23 तक ये सभी निर्माण पूरा करा लिया जाएगा।
5. ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का चौड़ीकरण व नई सड़कों का निर्माण कार्य। बॉक्स..
ये कमी रह गई
1. राजधानी में 900 करोड़ के निर्माण अधूरे
2. दूसरी तस्वीर ये भी है कि राजधानी में पिछली सरकार के समय जो निर्माण कार्य शुरू हुए थे, वे आज तक पूरे नहीं हुए हैं।
3. कोरोना के गंभीर आर्थिक संकट को देखते हुए नवा रायपुर में राजभवन, सीएम हाउस,मंत्रियों और अफसरों के बंगले निर्माण पर रोक लगानी पड़ी है।
4. पीडब्ल्यूडी के ये सभी प्राजेक्ट 500 करोड़ के है। सीएम हाउस और मंत्रियों के बंगले का निर्माण 40 से 50 फीसदी तक हो चुका है।
5. रायपुर में करीब 400 करोड़ के निर्माण एक्सप्रेस-वे जैसी सड़क, रेलवे क्रासिंग पर अंडर और ओवरब्रिज व भवन निर्माण अधूरे हैं।
राज्य के विकास की मजबूत बुनियाद
छत्तीसगढ़ राज्य के संपूर्ण विकास की कार्य योजना पर सरकार तेजी से काम कर रही है। करोड़ों रुपए की सड़कों और पुल-पुलिया निर्माण को स्वीकृति दी गई है। कोरोनाकाल के कारण निर्माण कार्यों पर प्रभाव जरूर पड़ा है, परंतु पिछले तीन सालों में विकास के कार्यों की मजबूत बुनियाद पर काम हुआ है। राज्य का कोई सा भी क्षेत्र उपेक्षित न रहे इस पर विशेष ध्यान दिया गया। मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना गांवों की तस्वीर बदलने वाली साबित होगी, क्योंकि इससे स्कूल, अस्पताल और आंगनबाड़ी केंद्रों तक सड़कें पहुंचेंगी। ऐसे 2675 मार्गों का काम शुरू कराया गया है।
– ताम्रध्वज साहू, मंत्री पीडब्ल्यूडी
हमारी सरकार के समय के ही निर्माण नहीं हुए पूरे
छत्तीसगढ़ का विकास काफी प्रभावित हुआ है। क्योंकि विकास कार्यों को लेकर सरकार का कोई विजन दिखाई नहीं देता है। हमारी सरकार के समय जो निर्माण कार्य शुरू हुए थे, वही आज तक चल रहे हैं। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश में किस तरह के निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। एडीबी प्रोजेक्ट के तहत जो 25 सड़कें करोड़ों रुपए की बन रही हैं, उसकी स्वीकृति भाजपा सरकार ने दी थी। राजधानी में करोड़ों रुपए के निर्माण पिछले तीन सालों में पूरा नहीं कराकर जनता को सुविधाओं से वंचित रखा गया है। तो प्रदेश के जिलों का अंदाजा लगा सकते हैं।
– राजेश मूणत, पूर्व मंत्री, पीडब्ल्यूडी
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