छत्तीसगढ़ किसान सभा ने प्रदेश में रासायनिक खाद के संकट के लिए केंद्र की भाजपा और राज्य की कांग्रेस सरकार, दोनों को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि निजी व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए ही दोनों यहां की खेती-किसानी और किसानों से खिलवाड़ कर रहे हैं।
आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि प्रदेश में धान की खेती के लिए 19 लाख टन रासायनिक खाद की जरूरत है, इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने केंद्र से केवल 11 लाख टन खाद की ही मांग की है और केंद्र ने भी इसके आधे की ही अभी तक आपूर्ति की है।
इस पूरी खाद को सहकारी समितियों के जरिये बांटने के बजाए राज्य सरकार ने भी इसके बड़े हिस्से को बाजार के हवाले कर दिया है और निजी व्यापारी कालाबाज़ारी करके जमकर मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि प्रदेश में खाद संकट कितना गहरा है, लेकिन यह संकट निजी व्यापारियों को मुनाफा पहुंचाने के लिए कांग्रेस-भाजपा दोनों ही सरकारों द्वारा ही जान-बूझकर पैदा किया जा रहा है।
किसान सभा नेताओं ने किसानों को वर्मी खाद लेने के लिए बाध्य करने के राज्य सरकार के आदेश का भी तीखा विरोध किया है और इसे किसानों के खेती करने के अधिकार पर हमला बताया है। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार के पास यह अधिकार नहीं है कि वह किसानों को उसकी इच्छा के खिलाफ किसी विशेष खाद का उपयोग करने के लिए बाध्य करें।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने किसानों को 30% वर्मी खाद आवश्यक रूप से लेने और दंतेवाड़ा जिले में रासायनिक खाद के उपयोग पर ही प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है, जिसका किसानों द्वारा चौतरफा विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा पहले तो खाद के दाम बढ़ाये गए, फिर खाद कंपनियों को सब्सिडी देकर लाभ पहुंचाया गया और अब प्रदेश में सुनियोजित रूप से खाद का संकट पैदा करके किसानों को बाजार की लूट का शिकार बनने के लिए छोड़ दिया गया है।
इधर राज्य सरकार भी उन्हें 2 रुपये किलो का गोबर 10 रुपये में खरीदने के लिए बाध्य कर रही है और 30 से 100 प्रतिशत खरीदी को अनिवार्य बना रही है। किसान सभा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस-भाजपा के इस किसान विरोधी रूख को 9 अगस्त के देशव्यापी आंदोलन में किसान सभा मुद्दा बनाएगी।
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