छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: अपनी बोली में पढ़ाई कर सकेंगे 5वीं तक के बच्चे, हिंदी-अंग्रेजी के अलावा इन भाषाओं में छापी जायेगी किताबें

छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में पहली से 5वीं तक बच्चे अब अपने क्षेत्र की स्थानीय भाषा और बोली में पढ़ाई कर सकेंगे। स्कूल शिक्षा विभाग ने विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाने वाली सादरी, भतरी, दंतेवाड़ा गोंड़ी, कांकेर गोंड़ी, हल्बी, कुडुख, और उड़िया भाषा के जानकारों से बच्चों के लिए पठन सामग्री, वर्णमाला चार्ट और रोचक कहानियों की पुस्तकें तैयार करवाकर स्कूलों में भिजवा दी है। इसके साथ ही साथ छत्तीसगढ़ी, अंग्रेजी और हिन्दी में भी बच्चों के लिए पठन सामग्री स्कूलों को दी गई है।
READ MORE: Post Office की इस स्कीम में लगाएं 10 हजार रुपये, अंत में मिलेगा 16 लाख, आप भी पैसा लगाकर उठा सकते हैं फायदा
शिक्षा विभाग के सचिव ने कहा कि प्राथमिक स्कूल के बच्चों के लिए राज्य में अलग-अलग हिस्सों में विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्र से लगे जैसे बस्तर, सरगुजा और ओड़िसा से लगे इलाके के लोग दैनिक जीवन में स्थानीय बोली-भाषा का उपयोग बहुलता के साथ किया जाता है। इन इलाकों में बच्चों को उनकी भाषा में शिक्षा दी जाए तो बच्चों के लिए और कारगर माध्यम हो सकता है साथ में यह सरल और सहज भी होगा।
READ MORE: तालिबान ने महिलाओं को दी हिदायत, बुर्का जरुरी नहीं…लेकिन हिजाब जरूरी, पढ़ाई को लेकर कही अहम बात
Theguptchar
इन्हीं को ध्यान में रखते हुए धुर्वा भतरी, संबलपुरी, दोरली, कुडुख, सादरी, बैगानी, हल्बी, दंतेवाड़ा गोड़ी, कमारी, ओरिया, सरगुजिया और भुंजिया बोली-भाषा में पुस्तकें और पठन सामग्री तैयार कराई गई हैं। सभी प्राथमिक स्कूलों को उक्त पठन सामग्री के साथ-साथ छत्तीसगढ़ी और अंग्रेजी में वर्णमाला पुस्तिका, मोर सुग्घर वर्णमाला एवं मिनी रीडर इंग्लिश बुक दी गई है। यह पुस्तकें उन्हीं इलाके के स्कूलों में भेजी गई हैं, जहां लोग अपने बात-व्यवहार में उस बोली-भाषा का उपयोग करते हैं।
READ MORE: छत्तीसगढ़: अब दंतेवाड़ा का ढेकी से कूटा चावल मिलेगा ऑनलाइन आर्डर पर, साथ ही दलिया भी तैयार कर रहीं महिलाएं
मैदानी क्षेत्रों के लिए छत्तीसगढ़ी कहानियां
स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया, प्रदेश के जिन जिलों में छत्तीसगढ़ी बहुतायत से बोली जाती है उन जिलों के चयनित प्राथमिक स्कूलों में चित्र कहानियों की किताबें भेजी गई हैं। इनमें सुरीली अउ मोनी, तीन संगवारी, गीता गिस बरात, बेंदरा के पूंछी, चिड़िया, मुर्गी के तीन चूजे और सोनू के लड्डू जैसी पुस्तकें शामिल हैं। हिंदी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं में लिखी इन कहानियों को लैंग्वेज लर्निंग फाउंडेशन के द्वारा तैयार किया है।
READ MORE: छत्तीसगढ़: पुलिस को मिली सफलता, इनामी नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
दूसरी भाषा सीखने को भी प्रोत्साहन
विभाग ने एक भाषा से दूसरी भाषा सीखने के लिए सहायक पठन सामग्री उपलब्ध कराई है। यह बस्तर क्षेत्र, केन्द्रीय जोन में रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और सरगुजा जोन में सभी प्राथमिक कक्षा पहली-दूसरी के बच्चों को दी जा रही है। इसमें बच्चे चित्र देखकर उनके नाम अपनी स्थानीय भाषा में लिखने का अभ्यास करेंगे। कक्षा पहली-दूसरी के बच्चों के लिए विभिन्न छह भाषा छत्तीसगढ़ी, गोंड़ी कांकेर, हल्बी, सादरी, सरगुजिहा, गोंडी दंतेवाड़ा में आठ कहानी पुस्तिकाएं. अब तुम गए काम से, चींटी और हाथी, बुलबुलों का राज, पांच खंबों वाला गांव, आगे-पीछे, अकेली मछली, घर, नटखट गिलहरी पढ़ने के लिए उपलब्ध कराई गई है।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button