Uncategorized

तालिबान ने महिलाओं को दी हिदायत, बुर्का जरुरी नहीं…लेकिन हिजाब जरूरी, पढ़ाई को लेकर कही अहम बात

तालिबान के शासनकाल में लड़कियों की पढ़ाई लिखाई बंद कर दी गई थी। साथ ही साथ महिलाओं को कामकाज करने या यात्रा करने से उन पर रोक दिया गया था। उन्हें खुले स्थानों पर सिर से लेकर पैर तक बुर्का ही पहनकर आना-जाना पढ़ता था।
READ MORE: छत्तीसगढ़: पुलिस को मिली सफलता, इनामी नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
लेकिन अब तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अपना नियम-कानूनों को बदल रहा है। तालिबान ने कहा है कि अब महिलाओं के लिए बुर्का पहनना जरूरी नहीं होगा, लेकिन उन्हें हिजाब पहनना होगा। बता दे तालिबान के 1996-2001 के शासनकाल के दौरान लड़कियों की पढ़ाई लिखाई और महिलाओं को कामकाज करने या यात्रा से रोक लगा दिया गया था। साथ ही साथ वे किसी पुरुष के साथ के बिना अकेले बाहर कहीं आ जा नहीं सकती थीं।
READ MORE: भारत में तालिबान जैसी क्रूर तस्वीरें, बीच सड़क महिला के साथ लाठी डंडों से मार पीट
अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद अफगानिस्तान के शहरी इलाकों में बुर्के की बिक्री ने रफ़्तार पकड़ ली है। इसे लेकर बाजारों में मारामारी की स्थिति है। काबुल, कंधार, हेरात जैसे शहरों में महिलाएं बुर्का खरीद रही हैं। उनके मन में डर है कि तालिबान नई पाबंदियां लागू करेगा, जिसमें उनके लिए बिना चेहरा ढंके बाहर निकलना नामुमकिन होगा।
Theguptchar
READ MORE: दरिंदगी: ASI ने घर में खाना बनाने आई 15 साल की लड़की से किया दुष्कर्म, बताने पर जान से मारने की देता था धमकी, गिरफ्तार
वहीं ब्रिटेन के स्काई न्यूज से बात करते हुए तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने मंगलवार को कहा कि बुर्का ही एकमात्र हिजाब नहीं है, जो पहना जा सकता है, कहीं तरह के हिजाब हैं। बुर्का पूरे सिर से पैर तक को ढंकने वाली पोशाक है। हालांकि शाहीन ने स्पष्ट तौर पर नहीं है कि किस तरह का हिजाब महिलाओं के लिए पहनना अनिवार्य किया जाएगा।
READ MORE: पेगासस जासूसी मामला: Supreme Court में केंद्र सरकार ने कहा-हां, हम मॉनिटरिंग करते हैं, लेकिन सॉफ्टवेयर का नाम नहीं बता सकते
तालिबान ने काबुल पर कब्जे के बाद पहली प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जायेगा। पुरुषों और महिलाओं के अधिकार समान होंगे। तालिबान नेताओं ने कहा कि शरिया के तहत महिलाओं के अधिकारों को लेकर वो वचनबद्ध है। नियम-कानूनों के मुताबिक, वो शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में काम कर सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अगर कोई संदेह हैं तो हम उन्हें यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होगा।
READ MORE: सड़क हादसे रोकने परिवहन विभाग ने संभाला मोर्चा, इन 11 विभागों को सौंपी जिम्मेदारी
लेकिन यह हमारे नियम-कानूनों के ढांचे के तहत ही होगा। हमारी मुस्लिम महिलाएं शरिया कानून के तहत भी खुश रहेंगी। तालिबान प्रवक्ता जाबिउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि तालिबान महिलाओं का सम्मान करेगा। उन लोगों को आम माफी दी जाएगी, जिन्होंने उसका विरोध किया था। उसने महिलाओं को सरकार में शामिल होने का न्योता भी दिया है। जबकि तालिबान के काबुल पर कब्जे के शुरुआती दिनों में काबुल एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी का माहौल देखा गया है। लोग विमानों में किसी भी तरह घुसकर देश से बाहर जाना चाहते हैं।
READ MORE: छत्तीसगढ़: अब दंतेवाड़ा का ढेकी से कूटा चावल मिलेगा ऑनलाइन आर्डर पर, साथ ही दलिया भी तैयार कर रहीं महिलाएं
दुनिया भर के तमाम संगठनों और देशों ने भी महिलाओं की शिक्षा को लेकर भी सवाल उठाए हैं। चूंकि काबुल समेत अफगानिस्तान के सभी बड़े शहरों में तालिबान का कब्जा हो गया है, लिहाजा नए कानूनों के जरिये वे धीरे-धीरे अपना नियंत्रण और शासन स्थापित कर रहे हैं। लेकिन शाहीन ने मास्को कान्फ्रेंस औऱ फिर दोहा कान्फ्रेंस का जिक्र करते हुए कहा कि हमने पहले ही कह दिया है कि लड़कियां प्राइमरी से लेकर यूनिवर्सिटी तक की शिक्षा प्राप्त कर सकती हैं।
READ MORE: Vastu Tips: कभी भी घर में ना रखें ये चीजें, नहीं तो बंद हो जाएगी आपकी किस्मत, ये वस्तुएं लेकर आती हैं अपने साथ दुर्भाग्य
यह बात हमने अंतरराष्ट्रीय मंचों से स्पष्ट कर दी है। तालिबान के कब्जे वाले इलाकों में हजारों स्कूल पहले की ही तरह चल रहे हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर तालिबान ने अभी लड़कियों की शिक्षा और महिलाओं के रोजगार पर कोई नीति घोषित नहीं की है।अब देखना यह है की अफगानिस्तान में महिलाओं को कितनी छुट दी जाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button