छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: जानिए नक्सलियों और सरकार के बीच मध्यस्थता कराने वाले शुभ्रांशु चौधरी कौन हैं?

छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) बीजापुर में शनिवार को सुरक्षाबलों के साथ नक्सलियों की मुठभेड़ के बाद नक्सली एनकाउंटर में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जगदलपुर पहुंचे। यहां गृह मंत्री और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। उसके बाद अमित शाह ने नक्सलियों को खुले तौर पर बदला लेने की चेतावनी भी दी थी। जिसके बाद नक्सलियों ने भी प्रेस नोट के जरिए से सरकार को खुलेआम चुनौती देने के साथ गृहमंत्री से पूछा था कि किस-किस से बदला लेंगे साथ ही प्रेस नोट में शुभ्रांशु चौधरी (Shubhranshu Choudhary)के नाम की चर्चा है। प्रेस नोट में नक्सलियों ने शुभ्रांशु को सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सत्ता का दलाल बताते हुए उनसे भी सवाल पूछे हैं।

कौन है शुभ्रांशु चौधरी ?

शुभ्रांशु पत्रकार हैं जो 1990 के दशक में बीबीसी के लिए काम कर चुके Shubhranshu पिछले करीब दो दशकों से Chhattisgarh के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय हैं। बस्तर इलाके में वे community radio का संचालन भी करते रहे हैं। सरकार और नक्सलियों के बीच मध्यस्थता की बात स्वीकारते हुए उन्होंने कहां की नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की जो मौजूदा हालत है, उसमें अभी कोशिशें नहीं की गईं तो इसके दूसरा अफगानिस्तान बन जाने का खतरा है।

शुभ्रांशु चौधरी सरकार और नक्सलियों के बीच बातचीत के लिए शांति मार्च निकाल चुके हैं। प्रेस नोट में उनके प्रयासों को लेकर दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता ने कहा था कि पहले इसके लिए अनुकूल माहौल बनाया जाना चाहिए। इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा था कि नक्सली पहले हिंसा और हथियार छोड़ें, तभी बातचीत हो सकती है।

सरकार के लोग कहते हैं नक्सली एजेंट

करीब एक साल पहले शुभ्रांशु ने एक नक्सली को मित्र कहते हुए पत्र लिखा था। फिर ऐसा क्या हुआ कि एक साल बाद ही नक्सली उन्हें सत्ता का एजेंट बताने लगे हैं। शुभ्रांशु इस बात को ज्यादा तवज्जो नहीं देते। वे कहते हैं कि सरकार के लोग उन्हें नक्सलियों का एजेंट भी बताते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि नक्सलियों के प्रेस नोट के जवाब में उन्होंने फिर एक पत्र लिखा है जिसमें नक्सलियों से जनयुद्ध की रणनीति बदलने की अपील की है।

भविष्य में बातचीत की संभावना के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि सत्ता में आने पर बातचीत के लिए गंभीर प्रयास करेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों ने मुख्यमंत्री द्वारा हिंसा छोड़ने की अपील तो खारिज कर दी, लेकिन बातचीत के लिए कुछ अप्रत्यक्ष शर्तें रखी हैं।

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