छत्तीसगढ़बिग ब्रेकिंग

Big Breaking : गुप्तचर में सबसे पहले .. नक्सलियों के चंगुल से CRPF जवान राकेश्वर सिंह रिहा

बस्तर @ राहुल राजपूत . बस्तर से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है . नक्सलियों द्वारा बंदी बनाए जवान को रिहा कर दिया गया है ।

आधिकारिक सूत्रों से अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन गुप्तचर के सूत्रों के अनुसार दिल्ली से आए किसी विशेष व्यक्ति ने इस काम को अंजाम दिया हैं। मिली जानकारी अनुसार जवान को वापस लाया जा रहा हैं।

2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे राकेश्वर सिंह

राकेश्वर सिंह मनहास साल 2011 में सीआरपीएफ (CRPF) में भर्ती हुए थे. तीन महीने पहले ही छत्तीसगढ़ में उनकी पोस्टिंग हुई थी. 7 साल पहले राकेश्वर सिंह की शादी हुई थी और एक 5 साल की बेटी है. मां कुंती देवी और पत्नी मीनू ने केंद्र और राज्य सरकार से राकेश्वर को नक्सलियों के कब्जे से छुड़ाने की मांग की है. उनके पिता जगतार सिंह भी सीआरपीएफ में थे. उनका निधन हो चुका है. छोटा भाई सुमित कुमार प्राइवेट सेक्टर में काम करता है. बहन सरिता की शादी हो चुकी है.

नक्सलियों के हमले में शहीद हुए 22 जवानों की कहानी 

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में तीन अप्रैल की सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक नक्सलियों और सुरक्षा बल के बीच मुठभेड़ हुई और इस मुठभेड़ में हमारे 22 जवान शहीद हो गए. इनमें कांकेर के शहीद जवान रमेश जुर्री भी हैं. उनकी चार साल पहले ही शादी हुई थी और उनकी तीन साल की एक बेटी है, जिसने आज उन्हें श्रद्धांजलि अपर्ति की. परिवार के लोग जब उसे शहीद पिता के पार्थिव शरीर के पास लेकर गए तो इस बच्ची को शायद पता भी नहीं था कि वो अपने पिता को आखिरी बार देख रही है. सोचिए एक जवान अपने देश की रक्षा के लिए अपने पीछे अपने परिवार को किस तरह अकेला छोड़ कर चला जाता है.

परिवार की हिम्मत और उम्मीदें टूट गईं

इस दर्द को आप अयोध्या से आई तस्वीरों से भी समझ सकते हैं, जहां शहीद राज कुमार यादव के परिवार को जब उनकी शहादत की खबर मिली तो पूरे परिवार की हिम्मत और उम्मीदें टूट गईं. गांव में शोक की लहर दौड़ गई और हर किसी की आंखें नम दिखीं. शहीद राज कुमार यादव कोबरा बटालियन के कमांडो थे और तीन भाईयों में सबसे बड़े थे. दो महीने पहले 10 जनवरी को ही उन्होंने अपनी मां का कैंसर का ऑपरेशन कराया था और इसके बाद वो ड्यूटी पर छत्तीसगढ़ आ गए थे. उन्होंने अपनी मां से वादा किया था कि वो जल्द ही घर आकर उनसे मिलेंगे, लेकिन एक वादा उन्होंने भारत मां से भी किया था और उसे निभाने के लिए उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दे दिया.

छत्तीसगढ़ के गरियाबन्द में जब शहीद सुख सिंह की पत्नी को उनकी शहादत की खबर मिली तो उन्हें बड़ा धक्का लगा. शहीद सुख सिंह ने अपनी पत्नी को वादा किया था कि वो 3 अप्रैल को घर जरूर लौटेंगे,  लेकिन वो अपना ये वादा पूरा नहीं कर पाए और इससे इनकी पत्नी को गहरा सदमा लगा है.आज हम उन्हें भी सलाम करते हैं. सोचिए शहीद जवानों का भी तो परिवार होता है, उनके भी बच्चे होते हैं, माता पिता होते हैं, जीवनसाथी होता है, लेकिन वो ये सब भूल कर देश की रक्षा के लिए अपनी शहादत दे देते हैं और इसलिए आज हम उन्हें नमन करना चाहते हैं.

शहीद सुख सिंह की तरह और भी जवान हैं, जिनके घरों में आज मातम पसरा हुआ है क्योंकि, ये शहीद देश की रक्षा के लिए अपने पीछे एक हंसता खेलता परिवार छोड़ गए हैं. आज हमने शहीदों के गांवों और उनके घरों से एक ग्राउंड रिपोर्ट आपके लिए तैयार की है, जो हम उन्हें समर्पित करते हैं.

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सली हमले में 22 जवान शहीद हो गए. पूरा देश और इनके परिवार गौरवान्वित है, लेकिन इनकी कमी आंसुओं के साथ बह रही है.

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button