छत्तीसगढ़

बस्तर में फैली कॉफी की खुशबू, बदल गई तस्वीर, अब आदिवासियों को मिल रहा रोजगार

बस्तर। कॉफी(Coffee)एक ऐसी वस्तु है जिसकी मांग देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। यदि इसकी पैदावार अपनी प्रदेश में होने लगे तो इससे अच्छी बात क्या होगी। बस्तर के दरभा में जहां कभी नरसंहार हुआ करता था वहां अब कॉफी की खुशबू फैल रही है। कुछ ही समय में बस्तर कॉफी के लिए ही जाना जाने लगेगा। यहां 22 एकड़ से खेती की शुरुआत हुई थी जो अब लोगों के लगन के चलते 51 एकड़ की खेती बन चुका है।
कॉफी (Coffee)एक बहुत ही प्रसिद्ध उत्पाद है जिसके कारण नेशनल और इंटरनेशनल मार्केट में इसकी मांग काफी बढ़ती जा रही है। इसके बढ़ते चलन को देखकर रायपुर और बस्तर में भी कैफे खोलने की तैयारी की जा रही है। अब बस्तर में 750 एकड़ की खेती करने की योजना बनाई जा रही है। जहां कॉफी की फसल लगाई जाएगी।
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कॉफी से सकारात्मक प्रभाव

बस्तर में कॉफी (Coffee) के बढ़ते उत्पादन से लोगों को रोजगार मिलने की संभावना बढ़ती जा रही है। आदिवासियों का भी आत्मविश्वास बढ़ रहा है। यह वही झीरम घाटी है जहां कभी नरसंहार हुआ करता था। यहां के ही दरभा घाटी में कॉफी की खेती की शुरुआत की गई है। इस खेती की शुरुआत कुछ जगह से हुई थी जो अब 151एकड़ तक जा पहुंचा है इसके कारण 22,264 लोगों को रोजगार मिल पाया है।
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कॉफी से खेती करने से बस्तर के किसानों को फायदा तो मिल ही रहा है साथ ही साथ इसकी फसल की रक्षा करने के लिए लगाए गए पौधों से भी उत्पादन कर पा रहे हैं। दरअसल कॉफी की फसल को छांव की जरूरत होती है जिसे अच्छी फसल तैयार की जा सके इसीलिए किसान कॉफी को धूप से बचाने के लिए आम कटहल, इमली,महुआ जामुन,काली मिर्च और सिल्वर ओक जैसे पौधे भी लगा रहे हैं जिनके फलों को बेचकर उत्पादन कमाया जा रहा है।
दरभा के डिलमिली गांव के किसान दुलारू बघेल ने बताया कि उनकी 58 एकड़ जमीन है। इसमें से कुछ ही हिस्से में कोदो, कुटकी की खेती करते थे। बाकी जमीन बंजर पड़ी हुई थी, जिसमें अब कॉफी की खेती कर रहे हैं।

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