छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में अनोखी शादी, रस्म के दौरान ही दुल्हन ने बेटे को दिया जन्म, जानिए… 

कोंडागांव। छत्तीसगढ़ के कोंडागाव जिले के ग्राम बड़ेराजपुर में एक अनोखी शादी का मामला सामने आया जहाँ शादी की रस्म के दौरान ही दुल्हन ने एक बेटे को जन्म दिया। हल्दी लेपन की तैयारी के दौरान दुल्हन के पेट में दर्द शुरू हो गया जिसके बाद शादी का कार्यक्रम रोककर दुल्हन को प्राथमिक अस्पताल केंद्र में ले जाया गया जहां उसने बेटे को जन्म दिया।
आपको बता दें की यह मामला बड़ेराजपुर के बांसकोट का है जहां उड़ीसा निवासी वर चंदन नेताम का शिव बत्ती के साथ शादी की रस्म हो रही थी। दुल्हन शिव बत्ती की मां सरिता मंडावी ने बोला कि आदिवासियों में आज भी पैठू प्रथा चल रही है जिसके चलते उनकी लड़की शिवबत्ती अगस्त 2021 में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन अपने पसंद से चंदन नेताम बांसकोट निवासी के घर पैठू गई हुई थी। जहां पर लगभग 6 माह एक साथ बीतने के बाद वर एवं वधू पक्ष के लोगों तय किया कि अब लड़के लड़की की शादी कर देनी चाहिए।
READ MORE: विकास फाटक उर्फ ​​’हिंदुस्तानी भाऊ’ को मुंबई पुलिस ने किया गिरफ्तार
वर के परिवार ने शादी के लिए लड़की के माता-पिता को दी जानकारी 
जानकारी के अनुसार दूल्हे के परिवार वालों ने लड़की के माता-पिता एवं उनके रिश्तेदारों को इस बात की सूचना दी और शादी तय कर दी गई। जिसके बाद ग्रामीणों को निमंत्रण दिया गया। जिसके मुताबिक 30 जनवरी को ही हल्दी लेपन का कार्यक्रम होना था तथा 31 जनवरी को शादी होनी थी। इसी बीच हल्दी लेपन के समय लड़की के पेट में दर्द शुरू हो गया। जिसके बाद उसे घर से लगभग 200 मीटर दूर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बांसकोट में जांच के लिए ले जाया गया।
रविवार की सुबह 9:36 बजे लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म से शादी की खुशियां दोहरी हो गई है तथा परिवार में खुशीहै। लड़के के पिता छेदीलाल नेताम ने बताया कि वे आसपास के लोगों को निमंत्रण देकर आए थे। वधू पक्ष के लोग भी शादी में शामिल होने आ चुके थे।
READ MORE: मंडप में फेरे लेते समय दुल्हन कर रही थी इतनी बड़ी गलती, दूल्हा भी रह गया हैरान, फिर पंडित जी ने किया ऐसा, देखें वीडियो
आदिवासियों में आज भी कायम पैठूप्रथा
आपको बता दें कि आदिवासी समाज में आज भी पैठूप्रथा का प्रचलन है इस प्रथा में लड़की अपने पसंद के लड़के के घर जाती है और वहीं रहने लगती है। यहां तक कि उसके घर वालों को भी इस पर किसी तरह का एतराज नहीं होता। इसके बाद वर एवं वधू पक्ष के लोग उचित समय देखकर उनकी शादी करा देते हैं।
अक्सर नवाखाई एवं अन्य त्योहार के मौके पर इसे अमलीजामा पहनाया जाता है। शहरी क्षेत्रों में इसे लिव इन रिलेशनशिप कहते जाता है जहां युवक युवती अपने पसंद से एक साथ बिना शादी के रह सकते हैं।

Related Articles

Back to top button