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सावधान! बच्चों को मोबाइल से रखें दूर, एडिक्शन के चलते हेमरेज-ट्यूमर का रहता है खतरा

Mobile Addiction in Children’s : बच्चा मोबाइल पर गेम खेलने, वीडियो देखने की जिद्द करता है? रोने से चुप कराने के लिए आप उन्हें मोबाइल दे देते हैं? सावधान! दोनों ही सूरतों में ऐसा करना खतरे से खाली नहीं है। मोबाइल की लत बच्चों को चुनौतियों से निपटने में कमजोर बना रही है। इनसे निकलने वाले रेडिएशन में लंबे वक्त रहने से बच्चों को ब्रेन हैमरेज और ब्रेन ट्यूमर का भी खतरा है।

डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के पीडियाट्रिक डॉ. नीलय मोझरकर बताते हैं कि मोबाइल एडिक्शन(Mobile Addiction in Children’s) कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों को जन्म दे रहा है। 2019 के बाद ऐसे बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिन्हें मोबाइल के अधिक इस्तेमाल की वजह से न्यूरो डेवलपमेंटल डिसऑर्डर है। 3 साल पहले तक हर महीने उनके पास औसतन 2 केस ऐसे आते थे। आज हर महीने 10 से 12 बच्चों को यह समस्या आ रही है। यानी केस 5 से 6 गुना तक बढ़ गए हैं।

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कम उम्र में बच्चों को मोबाइल (Mobile Addiction in Children’s)देने की आदत बच्चों को मानसिक विकलांग बना सकती है। डॉ. मोझरकर बताते हैं कि 1 से 3 साल के बीच बच्चे के ब्रेन में कनेक्शन बनते हैं। अधिक मोबाइल चलाने से उनका यह विकास बाधित होता है। नतीजतन बच्चों में हाईपर एक्टिविटी, बोलने-समझने में दिक्कत, अक्षर ज्ञान न होना और पढ़ाई-लिखाई न कर पाने जैसी दिक्कतें आती हैं।

बच्चे नशा, हिंसा, सुसाइड से उतार रहे हैं गुस्सा

डॉ.एम.के. सिंह, एचओडी, साइकोलॉजी, एम्स ने कहा, 16, 18 और 20 साल के युवा मोबाइल एडिक्शन से अधिक प्रभावित हैं। इनके व्यवहार में तेजी से बदलाव आ रहे हैं। मोबाइल की लत के चलते इनमें सहिष्णुता की कमी देखने को मिल रही है। सक्सेस न मिलने पर वे अपना आपा खो बैठते हैं। युवाओं में नशाखोरी, चिड़चिड़ापन, आत्महत्या या अन्य प्रयासों के जरिए खुद को नुकसान पहुंचाने जैसी घटनाएं सामने आ रही है।

स्प्लिट स्क्रीनिंग: बच्चों व किशोरों में फोकस करने की क्षमता पर प्रभाव

बच्चों और किशोरों में स्प्लिट स्क्रीनिंग की प्रवृत्ति बढ़ने से उनकी फोकस करने की क्षमता घट रही है। ब्रिटिश संस्था ऑफकॉम की रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे नियमित रूप से एक बार में दो वीडियो देख रहे हैं। स्प्लिट-स्क्रीनिंग में दोनों वीडियो एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, जिसमें आमतौर पर क्रिएटर घटना पर प्रतिक्रिया दे रहा होता है। कई बार बच्चे ऐसे वीडियो भी देखतेे हैं, जिनका आपस में संबंध नहीं होता।

 

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