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कोरोना काल में इस पौधे के तेल से बन रहा सेनिटाइजर, किसानों को खेती में हो रहा हद से ज्यादा मुनाफा…मेहनत काफी कम

द गुप्तचर डेस्क| कोरोना महामारी में मास्क और सेनिटाइजर हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है जब भी बाहर जाना होता है, मास्क लगाना जरूरी है| उसी तरह बार-बार हाथों को सेनिटाइज करते रहना भी कोरोना से बचाव में काफी अहम माना जाता है यहीं कारण है कि सेनिटाइजर की मांग पिछले डेढ़ साल से काफी बढ़ गई है|

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कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हथियार बन चुके सेनिटाइज का निर्माण अब कंपनियां एक खास पौधे से निकलने वाले तेल से भी कर रही हैं| औषधीय गुणों से भरपूर इस पौधे की खेती पिछले कुछ समय से किसान बड़ी मात्रा में कर रहे हैं|

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आपको बात दें इस पौधे का नाम है लेमनग्रास| आम बोलचाल की भाषा में इसे नींबू घास भी कहा जाता है| मेहनत व लागत कम होने और कमाई ज्यादा होने के कारण किसानों का रुझान इसकी तरफ हुआ है| किसान बताते हैं कि एक एकड़ में लेमनग्रास की खेती कर हर साल कम से कम दो लाख रुपए तक का मुनाफा कमाया जा सकता है|

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लेमनग्रास के पत्ते से तेल बनाया जाता है, जिसकी मांग दुनिया भर में बहुत ज्यादा है| इसके डंठल का भी निर्यात किया जाता है| दवाई बनाने के लेकर इत्र, सौंदर्य के सामान और साबुन बनाने में भी लेमनग्रास का उपयोग होता है| विटामिन ए की अधिकता और सिंट्राल के कारण भारतीय लेमनग्रास के तेल की मांग हमेशा बनी रहती है|

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कोरोना काल में इसके तेल का इस्तेमाल सेनिटाइजर बनाने में भी हो रहा है|लेमनग्रास में सिंट्राल की मात्रा 80 से 90 प्रतिशत तक होती है| यहीं कारण है कि इससे नींबू जैसी खुशबू आती है| लेमनग्रास की खेती कर रहे किसान बताते हैं कि इस पर आपदा का प्रभाव नहीं पड़ता और पशु नहीं खाते तो यह रिस्क फ्री फसल है|

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वहीं लेमनग्रास की रोपाई के बाद सिर्फ एक बार निराई करने की जरूरत पड़ती है और सिंचाई भी साल में 4-5 बार ही करनी पड़ती हैं| भारत के केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड में किसान लेमनग्रास की प्रमुखता से खेती करते हैं, देश के अन्य राज्यों में भी इसकी खेती होती है|

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एक हेक्टेयर के लिए 4 किलो बीज की जरूरत होती है, पौधे 2 महीने के भीतर लगाने लायक हो जाते हैं, पौधे के ऊपरी भाग को जड़ से 15 सेंटीमीटर छोड़कर काट लेते हैं| जड़ों को अलग कर लेते हैं और 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर पौधे लगाए जाते हैं| एक एकड़ में 12 हजार से 15 हजार पौधे लगाए जाते हैं|

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