इंसान ही नहीं मकड़ियां भी करती हैं सिग्नेचर, जानिए इस अनोखे स्पाइडर के बारे में
एक काफी सामान्य प्रजाति की गार्डन स्पाइडर(Garden Spider) पूरे उत्तरी गोलार्ध में पाया जाता है और अक्सर यह घास वाले इलाकों और बगीचों में पाया जाता है।
आम तौर पर इंसान ही अपनी कलाकृतियों में सिग्नेचर या कोई अपना खुद का मार्क बनाते हैं, लेकिन मकड़ियों की विविध प्रजातियों में बस्तर में मिलने वाली सिग्नेचर स्पाइडर (Garden Spider) भी एक है, जो अपने ताने-बाने से बुने गए जाल में अपना खुद का सिग्नेचर मार्क अंकित करती है।
इस बारे में दक्षिण बस्तर में प्राणी संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत टीम एजेडएन के अक्षय मिश्रा बताते हैं कि आम बोलचाल की भाषा में इसे गार्डन स्पाइडर(Garden Spider) भी कहा जाता है। जो बाग-बगीचों व जंगलों में निचली जगह पर अपना जाल बुनता है और कीट-पतंगों का शिकार करता है। इसका बुना हुआ जाल लगभग अदृश्य रहता है और केवल इसका हस्ताक्षर ही दिखाई देता है। इस सिग्नेचर पैटर्न को स्टेबिलमेंटम कहा जाता है। इस मकड़ी के 70 से ज्यादा प्रजातियां ज्ञात हैं।
गर्मियों में होती हैं परिपक्व
एक काफी सामान्य प्रजाति की गार्डन स्पाइडर(Garden Spider) पूरे उत्तरी गोलार्ध में पाया जाता है और अक्सर यह घास वाले इलाकों और बगीचों में पाया जाता है। जहां यह कम झाड़ियों पर एक गोलाकार वेब बनाता है। दिन के दौरान मकड़ी अपने जाले के केंद्र में सिर नीचे की ओर रहती है।सामान्य तौर पर, बगीचे की मकड़ियां गर्मियों में परिपक्व होती हैं।
गेंद में चिपकी रहती हैं
शरद ऋतु में दिए गए अंडे अगले वसंत में निकलते हैं, और नई उभरी हुई मकड़ी रेशम के एक अनियमित द्रव्यमान को घुमाती है जिसमें वे कई दिनों तक एक गेंद में चिपकी रहती हैं। परेशान होने पर वे सभी दिशाओं में भाग जाते हैं लेकिन अगर उन्हें अकेला छोड़ दिया जाए तो वे जल्द ही अलग हो जाते हैं।