छत्तीसगढ़

किसान आंदोलन के बीच उधेड़बुन में सरकार! वन मंत्री ने किया दावा, 8 में से 6 मांगों को पूरा कर रही प्रशासन, किसानों ने कहा- जुमला… 

छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में किसान पिछले 61 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों के इस आंदोलन में सरकार उलझ गई है। यहां तक कि सरकार नियमों की वजह से किसानों की उन मांगों को भी पूरा नहीं कर पा रही है, जो जमीन अधिग्रहण के दौरान किए गए थे।
शुक्रवार शाम वन, आवास एवं परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर ने यह दावा किया कि सरकार किसानों द्वारा की जा रही 8 में से 6 मांगों को पूरा कर रही है। दूसरी ओर, किसानों ने इसे सरकार का जुमला बताया है।
नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने कहा कि छह मांगें मान ली गई हैं का जो दावा किया जा रहा है वह सिर्फ सरकार की जुमलेबाजी है। हमने सरकार से आठ मांगें की थीं, लेकिन सरकार ने हमारी इन मांगों में से 3 को ही माना है वह भी आधा अधूरा। यह वही मांगें हैं जो सशक्त समिति की 2012 में हुई 12वीं बैठक में तय हो चुका था। इन मांगों को न तो पिछली भाजपा सरकार ने पूरा किया और न ही मौजूदा कांग्रेस सरकार कर रही है। उन्हीं पूर्व निर्णयों पर नई शर्तें लाद दी गई और आधा-अधूरा आदेश जारी कर दिया गया है। यह महज लोगों को भ्रमित करने का प्रयास है।
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इसके बाद आगे चंद्राकर ने कहा, सरकार ने नवा रायपुर के 27 गांवाें के मुख्य मुद्दे पर अब तक कोई विचार नहीं किया है। यह तब है जब मंत्रियों की तीन सदस्यीय समिति को उन्होंने सभी मांगों से जुड़े दस्तावेज सौंप दिए हैं। तीन बैठकों में बिंदुवार पूरी जानकारी भी सौंपी जा चुकी हैं।
आगे रूपन चंद्राकर ने कहा, सरकार ने सिर्फ एक मुद्दे का ही सही तरीके से पालन किया है। और यह है प्रभावित ग्रामीणों को यहां 70% गुमटी और चबूतरा देने की बात, लेकिन बांकी की सभी मांगें अब तक अधूरी हैं। इसी पर सरकार कह रही है कि हम आंदोलन छोड़ दें।
मांगें मानती है तो ऐतिहासिक सम्मान, नहीं तो जारी रहेगा आंदोलन
रूपन चंद्राकर ने कहा, हमारी सरकार से यह निवेदन है कि मौजूदा सरकार के गठन से पहले हमारे साथ जो वादा किया गया था उसे पूरा कर दें। सरकार सारे मुद्दों पर किसानों को अपना फैसला दे दे। हम आंदोलन छोड़ देंगे और सरकार का ऐतिहासिक सम्मान भी करेंगे। लेकिन अगर सरकार मांग नहीं मानती है तो हमारा आंदोलन जारी रहेगा। इस आंदोलन में प्रदेश के सारे किसान प्रतिनिधि आएंगे। हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व भी पहुंचेगा।
पूरी तरह नहीं हटी जमीन खरीदी-बिक्री की राेक
आगे रूपन चंद्राकर ने कहा, सरकार का कहना है कि उसने जमीन खरीद-बिक्री के लिए एनओसी लेने की शर्त हटा दी है। लेकिन यह भी अधूरी बात है। यह पूरा आंदोलन राजधानी क्षेत्र के 27 गांवों का है। सरकार इसको 41 गांव बनाकर 27 गांवों से यह शर्त हटा लेने की बात कह रही है और भ्रम फैला रही है। हम सभी गांवों में जमीन के खरीद-बिक्री को शर्त मुक्त चाहते हैं।
रोजगार की बात भी आधी-अधूरी
किसान नेता रूपन चंद्राकर ने कहा, रोजगार की बात भी आधी-अधूरी है। हमारी मांग है कि रोजगार में 60% का आरक्षण सिर्फ नवा रायपुर विकास प्राधिकरण तक सीमित न रहे। इस क्षेत्र में जितने भी सरकारी कार्यालय हैं वहां 60% रोजगार प्रभावित गांव के किसानों के लिए आरक्षित होनी चाहिए।
ये हैं किसानों की मांग
सन 2005 से स्वतंत्र भू क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।
प्रभावित 27 ग्रामों को घोषित नगरीय क्षेत्र की अधिसूचना निरस्त की जाए।
सम्पूर्ण ग्रामीण बसाहट का पट्टा दिया जाए।
प्रभावित क्षेत्र के प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को 1200 वर्ग फीट विकसित भूखण्ड का वितरण किया जाए।
आपसी सहमति, भू-अर्जन के तहत अर्जित भूमि के अनुपात में शुल्क आवंटन।
अर्जित भूमि पर वार्षिकी राशि का भुगतान तत्काल दिया जाए।
सशक्त समिति की 12वीं बैठक के निर्णयों का पूर्णतया पालन हो।
मुआवजा प्राप्त नहीं हुए भू.स्वामियों को चार गुना मुआवजे का प्रावधान हो।

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